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गत्ते के दाम 25 प्रतिशत और एल्यूमिनियम के दाम में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
चीन में छाए बिजली संकट का असर अब फार्मा उद्योग पर दिखने लगा है। वहां से कच्चे माल (साल्ट) की सप्लाई में भारी कमी के चलते फार्मा इंडस्ट्री पर संकट के बादल छा गए हैं। आपूर्ति में किल्लत के चलते साल्ट के दाम आसमान छूने लगे हैं। इसका असर दवाओं की कीमतों पर भी पड़ेगा। कारोबारियों का कहना है कि ज्यादा पैसे देकर भी फार्मा उद्योग को कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में आने वाले दिनों में दवाइयों के दाम बढ़ने तय हैं। अमृतसर में फार्मा की बड़ी इंडस्ट्री है। यहां पर करीब 40 यूनिट चल रही हैं। एडिसन फार्मास्युटिकल्स के मालिक अमित कपूर ने बताया कि कच्चे माल की 90 प्रतिशत सप्लाई चीन से होती है। मगर वहां पर बिजली संकट के चलते कच्चे माल की सप्लाई नहीं होने के कारण फार्मा उद्योग में करीब 30 से 40 फीसद उत्पादन कम हो गया है।
100 से ज्यादा देशों में अमृतसर से सप्लाई होती है दवाइयां
लघु उद्योग भारती के महासचिव एवं धनवंतरी हर्बल के मालिक डा. रवि शंकर ने बताया कि अमृतसर से 100 से ज्यादा देशों में दवाइयों की सप्लाई हो रही हैं। कच्चा माल के लिए देश का फार्मा उद्योग पूरी तरह चीन पर निर्भर है। अब सप्लाई कम होने के कारण फार्मा उद्योग को परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। विदेशी कंपनियों से जो आर्डर लिए हुए हैं, उन्हें पूरा करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि आर्डर पुराने रेट पर लिए थे।
तो दवाओं का भी झेलना पड़ सकता है संकट
रेमसन फार्मा के मालिक डा. रवि धवन ने कहा कि कच्चे माल की कमी के कारण उत्पादन प्रभावित होने से इस समय फार्मा उद्योग की हालत काफी नाजुक है। केवल अमृतसर ही नहीं बल्कि हिमाचल के बद्दी शहर की फार्मा इंडस्ट्री भी इस समय कच्चा माल उचित मात्रा में न मिलने के कारण संकट का सामना कर रही है।
इस तरह समझें कितने महंगे हुए साल्ट
अमित कपूर ने बताया कि आम तौर पर प्रयोग होने वाला साल्ट पैरासिटामोल एक साल पहले 650 रुपये किलो मिलता था। अब इसके दाम 1200 रुपये किलो हो गए हैं। चीन से इस रेट पर भी साल्ट नहीं मिल रहा है। इसी तरह निमुस्लाइड 700 रुपये से बढ़कर 1100 रुपये प्रति किलो हो गया है। एंटीबायोटिक दवाइयों में प्रयोग होने वाले सेफपोडोक्साइम साल्ट का दाम 8000 रुपये से बढ़कर 16 हजार रुपये प्रति किलो हो गया है।
ब्लड शुगर के लिए दी जाने वाली दवा का साल्ट मेटफार्मिन की कीमत 190 रुपये से बढ़कर 550 रुपये हो गई है। सेफेक्सीमाइन का दाम 9000 रुपये बढ़कर 12 हजार रुपये हो गया है। टरकुटालीन का दाम 12500 से बढ़कर 17500 रुपये किलो तक पहुंच गया है। इसके अलावा कई अन्य साल्ट के दामों में भी भारी बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा दवाइयों की पैकिंग में काम आने वाले पीवीसी बहुत ज्यादा महंगे मिल रहे हैं। गत्ते के दाम 25 प्रतिशत और एल्यूमिनियम के दाम में 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
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