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मारुति सुजुकी की मार्केटिंग को लगा बड़ा झटका, इस कारण से प्रोडक्शन में आई गिरावट

Tara Tandi
19 Aug 2021 5:56 AM GMT
मारुति सुजुकी  की मार्केटिंग को लगा बड़ा झटका, इस कारण से प्रोडक्शन में आई गिरावट
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मारुति सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है.

मारुति सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी है. उनके पोर्टफोलियो में कई तरह के मॉडल हैं जो अलग अलग क्षेत्रों में फैले हुए हैं. COVID-19 के अलावा दुनिया भर के कार निर्माता जिन प्रमुख मुद्दों का सामना कर रहे हैं, उनमें से एक सेमीकंडक्टर्स की कमी है. सभी निर्माता वर्तमान में इस संकट से गुजर रहे हैं. मारुति सुजुकी, जो भारतीय बाजार में एक दिग्गज है अब उसे भी इन्हीं मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है. संकट इतना विकराल है कि निर्माता ने अपने प्रोडक्शन में कटौती करने की तैयारी शुरू कर दी है.

इसका मतलब होगा कि लगभग 50,000-60,000 यूनिट गाड़ियों का नुकसान होगा जो कि केवल अगस्त में ही 2,500-3,000 करोड़ रुपये के रेवेन्यू में तब्दील हो जाएगा. हम सभी इस तथ्य से वाकिफ हैं कि मारुति एक लोकप्रिय कार ब्रैंड है और उनके लिए प्रोडक्शन में कटौती का मतलब क्या है. प्रोडक्शन में कटौती का मतलब यह हो सकता है कि आने वाले महीनों में कुछ लोकप्रिय मॉडल्स की उपलब्धता प्रभावित हो सकती है.

त्योहारी सीजन में भी होगा नुकसान

त्योहारों का मौसम आ रहा है और आम तौर पर साल के इस समय के दौरान, मारुति सुजुकी और अन्य ऑटो निर्माताओं ने गाड़ियों की मांग में वृद्धि देखी है. निर्माता अब इस महीने 1,10,000 से 1,20,000 यूनिट्स का प्रोडक्शन करने की संभावना है. मारुति सुजुकी के गुड़गांव प्लांट पर प्रोडक्शन में कटौती का प्रभाव तुलनात्मक रूप से कम है क्योंकि यह एंट्री लेवल की कारें बनाती है.

मारुति सुजुकी ने इस महीने की शुरुआत में सुजुकी के गुजरात प्लांट में प्रोडक्शन शुरू कर दिया है. वही ठीक इसी तरह अब निर्माता के मानेसर प्लांट को भी एक्सपैंड किया गया है. मानेसर प्लांट में प्रोडक्शन अगस्त में घटकर 45,000 यूनिट रहने की उम्मीद है. मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में औसतन हर महीने 65,000 यूनिट वाहनों का प्रोडक्शन होता था. गुजरात प्लांट में प्रोडक्शन में 65-70 प्रतिशत की कटौती की संभावना है, जिसका अर्थ है कि वे एक महीने में लगभग 15,000 से 20,000 यूनिट्स को मैन्युफैक्चर करेंगे.

ग्लोबल फोरकास्टिंग फर्म्स को भारत में चिप की कमी के मामले में जुलाई से सितंबर तिमाही सबसे खराब रहने की उम्मीद है. आने वाले महीनों में स्थिति अनिश्चित रहने की उम्मीद है. मलेशिया और ताइवान ऐसे देश हैं जो प्रमुख रूप से दुनिया सेमीकंडक्टर्स सप्लाई करते हैं. मलेशिया और ताइवान में क्रमश: कोविड-19 के मामले और सूखे की स्थिति खराब हो गई है और इसका मतलब है कि चिप की कमी की समस्या पहले से भी बदतर हो सकती है.

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