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नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार के लिए बीता सप्ताह काफी नुकसान वाला रहा। बीएसई का सेंसेक्स और एनएसई का निफ्टी तीन सप्ताह के निचले स्तर पर क्रमशः 72,644 अंक और 22,055 अंक पर बंद हुए। इस दौरान दोनों ही इंडेक्सों में करीब दो प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। निफ्टी के स्मॉलकैप और मिडकैप सूचकांक में क्रमशः पांच प्रतिशत और 2.75 प्रतिशत की गिरावट रही।
अगले सप्ताह वैश्विक और घरेलू स्तर पर आने वाले आर्थिक आंकड़े बाजार की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। देश में थोक और खुदरा महंगाई के अप्रैल के आंकड़े इस सप्ताह जारी होंगे। अमेरिका में आने वाली खुदरा बिक्री, बेरोजगारी के आंकड़े और कोर महंगाई दर के आंकड़ों का भी बाजार पर असर हो सकता है।
इसके अलावा जापान के जीडीपी डेटा और भारतीय कंपनियों द्वारा चौथी तिमाही के नतीजों का बाजार पर प्रभाव देखने को मिल सकता है। बीते सप्ताह भारतीय बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण विदेशी निवेशकों की ओर से की जाने वाली बिकवाली रही। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने पिछले सप्ताह करीब 22,000 करोड़ रुपये की भारतीय पूंजी बाजारों से निकासी की है और जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 17,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च प्रमुख, संतोष मीणा ने कहा कि तकनीकी तौर पर निफ्टी गिरावट के बाद एक लोअर रेंज में ट्रेड कर रहा है। उनका कहना है कि 2024 की शुरुआत से ही निफ्टी में एक सीमित दायरे में कारोबार हो रहा है और हालिया गिरावट के बाद अगर निफ्टी 21,777 अंक के ऊपर टिकता है तो बाजार में उछाल देखने को मिल सकता है। हालांकि, 22,200 अंक से 22,400 अंक के बीच के दायरे में यह सीमित रह सकता है।
अगर 21,777 अंक का स्तर टूटता है तो निफ्टी 21,550 अंक और 21,200 अंक के स्तर तक जा सकता है। मीणा ने कहा, "अगर 47,200 का स्तर टूटता है तो बैंक निफ्टी 46,600 अंक और 46,200 अंक तक फिसल सकता है।"
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