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Litchi farmers : लगातार तीन साल से भारी नुकसान झेल रहे हैं बिहार के लीची किसान

Rani Sahu
22 Jun 2021 10:23 AM GMT
Litchi farmers : लगातार तीन साल से भारी नुकसान झेल रहे हैं बिहार के लीची किसान
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बिहार देश का सबसे बड़ा लीची उत्पादक राज्य है

बिहार देश का सबसे बड़ा लीची उत्पादक राज्य है. लेकिन लगातार तीन साल से यहां के किसान भारी नुकसान झेलने को मजबूर हैं. पिछले साल आई कोरोना महामारी के पहले से ही बिहार के लीची किसानों का मुश्किल समय शुरू हो गया था, जो इस साल तक जारी है. भारी नुकसान झेल रहे किसान अब सरकार की तरफ मदद की आस में देख रहे हैं.

बिहार के लीची किसानों के लिए कठिन समय की शुरुआत 2019 में ही हो गई थी. उस वक्त राज्य का एक इलाका एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) यानी चमकी बुखार की चपेट था. इस बीमारी की वजह से राज्य के दर्जनों बच्चों की जान चली गई थी. जिस इलाके में इस बीमारी का कहर सबसे ज्यादा था, उसी इलाके में लीची का सबसे अधिक उत्पादन भी होता था. चमकी बुखार से लीची का नाम जुड़ा. इस कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि मांग में भारी कमी दर्ज हुई.
चमकी बुखार का साया छंटा तो किसानों को कुछ राहत की उम्मीद जगी. लेकिन उनकी उम्मीदों पर कोरोना महामारी ने पानी फेर दिया. 2020 में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ दी. 2019 में चमकी बुखार के कारण हुए नुकसान से 2020 में लीची किसान उबर नहीं पाए. कोरोना ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया.
50 प्रतिशत से अधिक का हुआ नुकसान
लगातार दो साल से नुकसान में चल रहे लीची किसानों को तीसरे साल यानी 2020 से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान यास ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. मई के आखिरी स्पताह में आए यास तूफान ने लीची किसानों की तैयार फसल को बर्बाद किया और इस तरह लगातार तीसरे साल भी लीची किसानों को राहत नहीं मिली.
अलग-अलग वजहों से ये तीन साल लीची किसानों के लिए अच्छे नहीं रहे. उनका कहना है कि हमें 50 प्रतिशत से अधिक का नुकसान हुआ है. किसानों को इसकी भरपाई की चिंता सता रही है. दी प्रिंट की खबर के मुताबिक, बिहार लीची ग्रोवर एसोसिएशन के अध्यक्ष बच्चू सिंह कहते हैं, 'लगातार तीन साल हम लोगों को भारी नुकसान हुआ है. इस साल पीक सीजन में साइक्लोन यास के कारण तैयार फसल बर्बाद हो गई.'
वे बताते हैं, 'सबसे अधिक लीची उत्पादन मुजफ्फरपुर के 12 ब्लॉक में सिर्फ 3 ही साइक्लोन यास के असर से बच पाए. बाकी के सभी ब्लॉक में सबकुछ तबाह हो गया.' सिंह कहते हैं कि इस कारण कमाई एक तिहाई से भी कम रह गई.
चीन के बाद भारत दुनिया में लीची का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. फल छोटे पेड़ों पर उगाए जाते हैं. अपने मीठे स्वाद के लिए लोकप्रिय यह फल प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, खनिज, रेशेदार पदार्थ, कैल्शियम, फास्फोरस और आयरन के अलावा विटामिन बी1 और विटामिन सी से भी भरपूर होता है.
45 हजार किसान करते हैं लीची की खेती
बिहार में 45 हजार से अधिक छोटे और सीमांत किसान लीची की खेती में लगे हुए हैं. बिहार में 32,000 हेक्टेयर में इस फल की खेती की जाती है, जिससे वार्षिक उत्पादन 3-4 लाख मीट्रिक टन होता है. बिहार के अलावा लीची की खेती पश्चिम बंगाल, असम और पंजाब सहित कई अन्य राज्यों में की जाती है.
बिहार का मुजफ्फरपुर जिला लीची की खेती का केंद्र है और यहां खेती की जाने वाली शाही लीची को आकार व अद्वितीय स्वाद सहित इसकी विशिष्ट विशेषताओं के कारण भारत सरकार से जीआई टैग दिया गया है.


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