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इश्यू प्राइस से 24 फीसदी टूट चुके एलआईसी के शेयर, निवेशकों के लिए आई राहत की बात

Rani Sahu
13 July 2022 2:04 PM GMT
इश्यू प्राइस से 24 फीसदी टूट चुके एलआईसी के शेयर, निवेशकों के लिए आई राहत की बात
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नई दिल्ली: देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ (Biggest IPO) लाने वाली भारतीय जीवन बामा निगम (LIC) ने भले ही अपने निवेशकों को तगड़ा झटका क्यों दिया हो. लेकिन उन्हें अभी भी कंपनी पर पूरा भरोसा है. यही कारण है कि बड़ा नुकसान उठाने के बाद भी ये निवेशक एलआईसी का साथ छोड़कर नहीं भागे, बल्कि अभी भी जुड़े हुए हैं.

शेयरों में आई 24 फीसदी गिरावट
हम बात कर रहे हैं एंकर निवेशकों (Anchor Investors) की. ये वो निवेशक हैं जिन्हें कंपनी द्वारा तय किए गए अपर प्राइस बैंड (Price Band) 949 रुपये पर Stock बेचे गए थे. लेकिन इस आईपीओ की शेयर बाजार में लिस्टिंग उम्मीद के विपरीत खराब रही. यही नहीं लिस्टिंग के बाद से लगातार एलआईसी के शेयरों में गिरावट का सिलसिला जारी है. ताजा भाव को देखें तो इसके शेयरों में अब तक 24 फीसदी की गिरावट आ चुकी हैं. बुधवार को हालांकि, मामूली बढ़त के साथ एलआईसी के शेयर 718.30 रुपये पर बंद हुए.
अभी भी एलआईसी पर भरोसा कायम
आईपीओ पेश करने से एक दिन पहले इसे एंकर निवेशकों के लिए खोला गया था. इन निवेशकों के लिए कंपनी ने 5.93 करोड़ शेयर जारी किए थे और 5,627 रुपये जुटाए थे. एलआईसी में 15 म्यूचुअल फंडों (Mutual Funds) ने निवेश किया था. सबसे ज्यादा घाटा झेलने के बाद भी एंकर निवेशकों का भरोसा कंपनी पर बना हुआ है और जून में लॉक-इन पीरियड (Lock-In-Period) खत्म होने के बाद 15 में से सात ने कंपनी के शेयर अपने पास रखे हुए हैं, जबकि दो ने अपने निवेश में बढ़ोतरी की है.
इन एंकर निवेशकों ने नहीं छोड़ा साथ
भारी गिरावट के बावजूद भी जिन म्यूचुअल फंडों ने कंपनी का हाथ थामे रखा है, उनमें SBI Mutual Fund, ICICI Prudential Mutual Fund, UTI Mutual Fund शामिल हैं. वहीं कुछ एंकर निवेशकों ने अपनी भागीदारी कम की है. गौरतलब है कि एलआईसी का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए 4 मई से 9 मई तक खुला था. जबकि शेयर बाजार में इसकी लिस्टिंग 17 मई को हुई थी.
आईपीओ ने जुटाए थे 20500 करोड़
सरकार ने अपने पूर्ण स्वामित्व वाली एलआईसी में आईपीओ के जरिए 3.5 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी. विदेशी निवेशकों को छोड़ दें तो इसे सभी निवेशकों का रिस्पांस मिला था. एलआईसी आईपीओ को 2.94 गुना सब्सक्राइब किया गया था. इसके जरिए सरकार ने 20,500 करोड़ रुपये जुटाए थे. इसके शेयरों की कीमत 902-949 रुपये प्रति शेयर निर्धारित की गई थी.
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