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आइए जानिए क्या है बायोमेट्रिक्स तकनीक और कैसे है सिक्योर

Subhi
18 Aug 2022 4:46 AM GMT
आइए जानिए क्या है बायोमेट्रिक्स तकनीक और कैसे है सिक्योर
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आजकल पहचान के लिए बायोमेट्रिक्स का उपयोग हर जगह किया जा रहा है। देश में भी इसको लेकर एक नया कानून लागू किया गया है। क्रिमिनल प्रासिजर (आइडेंटिफिकेशन) एक्ट-2022 देश में लागू हो चुका है।

आजकल पहचान के लिए बायोमेट्रिक्स का उपयोग हर जगह किया जा रहा है। देश में भी इसको लेकर एक नया कानून लागू किया गया है। क्रिमिनल प्रासिजर (आइडेंटिफिकेशन) एक्ट-2022 देश में लागू हो चुका है। इसके तहत पुलिस किसी भी अपराध के लिए गिरफ्तार या दोषी ठहराए गए लोगों के बायोमेट्रिक्स ले सकती है। हालांकि पुराने कानून के अंतर्गत पुलिस को तस्वीरों के अलावा, अंगुलियों के निशान, पैरों के निशान सहित कैदियों की शारीरिक माप लेने की अनुमति प्राप्त है। नया कानून आइरिस, रेटिना स्कैन, फिजिकल और बायोलाजिकल नमूने, सिग्नेचर और हैंडराइटिंग के नमूने एकत्र करने की अनुमति भी देता है। इसके तहत राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों से माप के रिकार्ड एकत्र करेगा और उन्हें 75 वर्षों के लिए डिजिटल फार्मेट में संग्रहीत करेगा।

बायोमेट्रिक्स क्या है

बायोमेट्रिक्स जैविक माप (बायोलाजिकल मेजरमेंट) है, जिसकी मदद से किसी व्यक्ति की पहचान की जा सकती है। फिंगरप्रिंट मैपिंग, फेशियल रिकाग्निशन, रेटिना स्कैन बायोमेट्रिक तकनीक के ही रूप हैं। इनका उपयोग आजकल स्मार्टफोन, अटेंडेंस लेने वाली मशीन आदि में भी खूब हो रहा है। बता दें कि हर व्यक्ति की बायोमेट्रिक डिटेल अलग-अलग होती है। यही चीज उस व्यक्ति को दूसरों से अलग बनाती है। किसी व्यक्ति की आंख का रेटिना या फिंगरप्रिंट दूसरे किसी अन्य व्यक्ति से मेल नहीं खा सकता है। इससे हर इंसान की एक अलग यानी यूनिक पहचान बनती है। इस डिटेल को कोई हैक या चोरी भी नहीं कर सकता है।

कैसे करता है काम

आज स्कूल-कालेज या फिर आफिस आदि में रोजमर्रा की सुरक्षा में बायोमेट्रिक पहचान की भूमिका बढ़ती जा रही है। प्रत्येक व्यक्ति की खास बायोमेट्रिक पहचान का उपयोग कंप्यूटर, फोन, आफिस आदि में एक तरह से पासवर्ड के तौर पर किया जाता है। जब तक बायोमेट्रिक डाटा मेल नहीं होता है, चीजों को ओपन नहीं कर पाएंगे। एक बार बायोमेट्रिक डाटा प्राप्त करने और उसे मैप किए जाने के बाद इसे भविष्य में पहचान और आथेंटिकेशन के लिए सहेजा जाता है। अधिकांश समय इस डाटा को एन्क्रिप्ट किया जाता है और डिवाइस के भीतर या रिमोट सर्वर में संग्रहीत किया जाता है। बायोमेट्रिक्स स्कैनर हार्डवेयर हैं, जिनका उपयोग पहचान के आथेंटिकेशन के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो बायोमेट्रिक सुरक्षा का मतलब है कि आपका शरीर ही एक तरह से किसी चीज को अनलाक करने के लिए 'कुंजी' बन जाता है। बायोमेट्रिक्स का उपयोग इसलिए भी तेजी से बढ़ रहा है, क्योंकि यह उपयोग में काफी आसान है। यह हमेशा आपके साथ होता है। इसे खोया या भुलाया नहीं जा सकता। पासवर्ड या चाबी की तरह इसकी चोरी नहीं की जा सकती।


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