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देश में रबी फसलों (Rabi Crops) की कटाई अगले महीने शुरू हो जाएगी. कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) ने इस बार के अग्रिम अनुमान में बंपर पैदावार की उम्मीद जताई है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देश में रबी फसलों (Rabi Crops) की कटाई अगले महीने शुरू हो जाएगी. कृषि मंत्रालय (Agriculture Ministry) ने इस बार के अग्रिम अनुमान में बंपर पैदावार की उम्मीद जताई है. दलहनी फसलों का उत्पादन भी 16.84 मिलियन टन के लक्ष्य से बढ़कर रिकॉर्ड 18.34 मिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है. दलहनी फसल में मसूर (Lentil) का अनुमानित उत्पादन इस बार 1.58 मिलियन टन पहुंच सकता है. बीते 14 साल में मसूर का यह दूसरा सबसे अधिक उत्पादन हो सकता है. बंपर पैदावार की उम्मीद के बीच किसानों को नुकसान का डर सता रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक तरफ रिकॉर्ड उत्पादन और दूसरी तरफ इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती के कारण किसान अधिक लाभ से वंचित रह सकते हैं.
वर्तमान में प्रमुख मसूर उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में यह दलहनी फसल अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक भाव पर बिक रहा है. सरकार ने 5500 रुपए प्रति क्विंटल की एमएसपी तय की है. वहीं प्रमुख दलहनी फसल चना एमएसपी से नीचे बिक रहा है.
'खाद्य महंगाई को काबू करने के लिए लिया गया निर्णय'
केंद्र सरकार ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से आने वाले मसूर से इंपोर्ट ड्यूटी को हटा दिया है जबकि अमेरिका के मामले में इंपोर्ट ड्यूटी को 30 से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि आयात शुल्क में कटौती से किसानों को नुकसान होगा. एक तरफ बंपर पैदावार और दूसरी तरफ आयात शुल्क में कटौती से उन्हें उचित लाभ मिलने की संभावना कम है.
सरकार ने इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती का निर्णय लेते हुए कहा था कि यह खाद्य महंगाई को काबू में करने के लिए किया गया है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि आयात शुल्क में कटौती के बाद व्यापारी काफी मात्रा में दाल बाहर से मंगाएंगे. उच्च आपूर्ति के कारण दाम गिरना स्वभाविक है. लेकिन सरकार को यह निर्णय अभी नहीं लेना चाहिए. भारत अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में दलहनों का आयात करता है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मसूर की कीमत अधिक
प्रमुख मसूर उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के एक दाल व्यापारी ने डाउन टू अर्थ से बातचीत में कहा कि सूखे के कारण कनाडा में मसूर की फसल प्रभावित हुई है. उत्पादन में 50 प्रतिशत की कमी आई है. इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मसूर की कीमतें अधिक हैं. ऐसे में कोई खास अंतर पड़ने की संभावना नहीं है. एक कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि बंपर उत्पादन और आयात शुल्क में कटौती के बाद भी मसूर की कीमत MSP से नीचे आने की संभावना कम ही है.
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