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जानें क्या है hydroponics तकनीक, जिसमें वैज्ञानिक आधार से की जाती है पूरी खेती

Gulabi
16 May 2021 7:44 AM GMT
जानें क्या है hydroponics तकनीक, जिसमें वैज्ञानिक आधार से की जाती है पूरी खेती
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hydroponics तकनीक

विश्व बैंक की एक स्टडी बताती है कि पूरी दुनिया में पानी का जितना इस्तेमाल होता है, उसमें 70 परसेंट पानी खेती-बाड़ी में खर्च हो जाता है. पानी की इस बेतहाशा खर्च के पीछे सिंचाई के 'गलत' तरीके का उपयोग होना मुख्य वजह है. यहां गलत तरीके का अर्थ अवैज्ञानिक तौर-तरीके से लगा सकते हैं. यानी कि सिंचाई के आधुनिक और पानी बचाने वाले तरीके अपनाएं जाएं तो पानी की बड़ी मात्रा में बचत हो सकती है.


दुनिया की बढ़ती आबादी को देखते हुए भविष्य में खेती-बाड़ी का काम बढ़ेगा. इस लिहाज से सिंचाई और पानी की खपत भी बढ़ेगी. एक अनुमान के मुताबिक, साल 2050 तक 5930 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि की जरूरत होगी ताकि लोगों का पेट भरा जा सके. इतने बड़े स्तर पर पानी और कृषि लायक भूमि की उपलब्धता मुश्किल है क्योंकि दुनिया में तेज से गति से औद्योगिकीकरण भी हो रहा है और होगा. विकसित राष्ट्र बनने के लिए यह जरूरी भी है. पेड़ों की कटाई कर और कृषि लायक जमीनों पर उद्योगों का संचालन जरूरी फैक्टर बनता जा रहा है. ऐसे में क्या उपाय हो कि कल-कारखाने भी चलते रहें और खेती-बाड़ी भी होती रहे. इसका ध्यान रखते हुए भारत के दो इंजीनियरों ने एक समाधान निकाला है.
इस स्टार्टअप का कमाल
इन दोनों का नाम अमित कुमार और अभय सिंह है. दोनों आईआईटी बॉम्बे के ग्रेजुएट हैं. दोनों ने मिलकर एकीफूड्स नाम का स्टार्टअप शुरू किया है. यह स्टार्टअप राजस्थान के कोटा में लांच किया गया है. इस स्टार्टअप ने किसानों के लिए हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का इजाद किया है जिसमें खेती के लिए भूमि की जरूरत नहीं है.

इसमें बिना जमीन का इस्तेमाल किए खेती करते हैं और सिंचाई के लिए पोषण से भरे पानी का उपयोग किया जाता है. इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बेंगलुरु की एक स्टार्टअप कंपनी ने स्पेशल फ्रीज बनाया है जिसमें चारा उगाया जाता है. इस चारे को उगाने के लिए जमीन की जरूरत नहीं होती. एक हफ्ते में 20-25 किलो चारा उगा लिया जाता है जो पोषण से भरपूर होता है. यह चारा भी हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाया जाता है.

क्या है हाइड्रोपोनिक तकनीक
आईआईटी बॉम्बे के दोनों इंजीनियरों ने हाइड्रोपोनिक टेक्नोलॉजी बनाने के लिए सब्जियों पर रिसर्च की है. इसके बाद खेती के लिए चैंबर्स बनाए गए हैं. इंजीनियरों का दावा है कि इस चैंबर में खेत की तुलना में 20 परसेंट तेजी से पौधे उगते हैं, वह भी बिना माटी के. इस चैंबर में पोषण से भरे पानी का इस्तेमाल होता है, इसलिए सब्जी में स्वाद, पोषण ज्यादा पाया जाता है. खेती पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार से की जाती, इसलिए श्रम की बेहद कम जरूरत होती है.

दूर बैठे खेती का कंट्रोल
अभय सिंह ने 'YOURSTORY' को बताया, कम दाम में अच्छी सब्जी लोगों तक पहुंचाने के लिए कुछ ऐसा करना होगा जो पारंपरिक विधियों से अलग हो. इसी बात को आधार बनाते हुए नई तकनीक पर काम शुरू किया गया. आगे चलकर 'ग्रोइंग चैंबर्स' (जिस गड्ढे में सब्जी के पौधे उगाए जाएंगे) बनाए गए. ये चैंबर हर तरह की सब्जियों के लिए अलग-अलग हैं. इस चैंबर को कोको-पिट का नाम दिया गया है. सबसे बड़ी बात कि इस खेती में माटी जरूरत नहीं है. यह पूरी तरह तकनीक पर आधारित है. सो, पौधों के विकास को दूर बैठे कहीं से भी कंट्रोल किया जा सकता है. जैसे चेन्नई में लगे कोको-पिट को दिल्ली से कंट्रोल कर सकते हैं.

टमाटर, खीरा की खेती
कोको-पिट चैंबर में धनिया, टमाटर, एगप्लांट, खीरा और करेला उगाया जा रहा है. अभी इस तकनीक से एकीफूड्स स्टार्टअप को प्रति महीने 3.5 लाख रुपये की कमाई हो रही है. साल के अंत तक यह कमाई 40 लाख रुपये प्रति महीने तक जा सकती है. एकीफूड्स शुरू करने वाले दोनों फाउंडर एक दूसरे को पिछले 12 साल से जानते हैं. दोनों आईआईटी बॉम्बे में बैचमेट भी रहे हैं. अमित सिंह फार्म सेटअप, फार्म ऑपरेशन और स्टार्टअप का आरएंडडी देखते हैं, जबकि अभय सिंह सेल्स, फार्म ऑटोमेशन और कंपनी का फाइनेंस देखते हैं. इस स्टार्टअप में अभी 26 टीम मेंबर हैं. अभी यह कंपनी राजस्थान के भीलवाड़ा से काम कर रही है.
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