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जानिए क्यों बुवाई से पहले किया जाता है बीजों का उपचार

Gulabi Jagat
23 Jun 2022 8:02 AM GMT
जानिए क्यों बुवाई से पहले किया जाता है बीजों का उपचार
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बीजों का उपचार
इस समय खरीफ फसलों की बुवाई चल रही है. अगर किसान कृषि वैज्ञानिकों की सलाह मानेंगे तो न सिर्फ फसलों की उत्पादकता (Crop Productivity) बढ़ेगी बल्कि बीमारियों का प्रकोप कम से कम होगा. इससे खेती की लागत में कमी आएगी. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि फसलों की उत्पादकता में वृद्धि और उन्हें कीड़ों व बीमारियों से बचाने के लिए बुवाई से पहले शत-प्रतिशत बीज उपचार किया जाना जरूरी है. जैसे हर बच्चे को पोलियो का टीका लगता है वैसे ही हर बीज को सुरक्षा (Seed Protection) का टीका लगे तो खेती की तस्वीर बदल सकती है. बीज का उपचार करते समय यह बात का ध्यान रखें कि सबसे पहले बीज को फफूंदनाशक फिर कीटनाशी और अन्त में सवर्ध (कल्चर) से उपचारित करना है.
इन दिनों राजस्थान सरकार अपने यहां के किसानों को बीज की बुवाई से पहले उसका उपचार करने के लिए प्रेरित कर रही है. हालांकि, कहीं के भी किसान यह काम करेंगे तो उन्हें फायदा मिलेगा. इसमें खर्च बहुत कम लगता है लेकिन फायदा अच्छा खासा मिलता है. आईए, समझते हैं कि खरीफ सीजन की किन फसलों (Kharif Season Crops) के सीड का उपचार कैसे होगा.
मक्का
खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में मक्का (Maize) का नाम आता है. इसकी बुवाई से पहले अनुपचारित बीज को 3 ग्राम थाइरम और 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी प्रति किलो बीज की दर से मिलाकर बीजोपचार (Seed Treatment) करके बुवाई करें. तुलासिता रोग के प्रकोप वाले क्षेत्रों में बीज को 4 ग्राम मेटालेक्सिल दैहिक कवकनाशी प्रति किलो बीज की दर से अवश्य उपचारित करें.
बाजरा
यह राजस्थान की प्रमुख खरीफ फसल है. बाजरा (Millet) में अरगट रोग (गुन्दिया) नियंत्रण के लिए 20 प्रतिशत नमक के घोल (5 लीटर पानी में एक किलोग्राम नमक) में बीज को पांच मिनट डुबोएं, हिलाकर हल्के बीज व कचरे को हटाकर साफ पानी से धोकर बीज को छाया में सुखाएं. दीमक की रोकथाम के लिए 8.75 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस प्रति किलोग्राम की दर से बीज को उपचारित करें. बीज जनित रोगों के नियंत्रण के लिए एक किलो बीज को 3 ग्राम थायरम से उपचारित करें.
मूंगफली
बीज जनित रोग जैसे कॉलर रोट (गलकट) से बचाव के लिए एक किलो बीज को 3 ग्राम थाइरम, 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी या 2 ग्राम मेन्कोजेब और 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी से उपचारित करें. या फिर 8-10 ग्राम ट्राईकोडर्मा से उपचारित करके बोएं. मूंगफली (Groundnut) में सफेद लट की रोकथाम के लिये 6.5 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 600 एफएस प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें.
ग्वार
अंगमारी रोग की रोकथाम के लिए बुवाई करने से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 250 पीपीएम एग्रीमाईसीन (1 ग्राम 4 लीटर पानी) के घोल में डेढ़ घंटे भिगोकर उपचारित करें. ग्वार में जड़ गलन रोग के नियंत्रण के लिए बीज को कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति किलो की दर से बीजोपचार करें.
सोयाबीन
बीज बोने से पूर्व उसे 3 ग्राम थाइरम, 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी या 2 ग्राम कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी द्वारा बीज उपचारित करें. सोयाबीन (Soybean) फसल में जड़ गलन बीमारी के नियंत्रण के लिए 6-8 ग्राम ट्राईकोडर्मा जैविक फफूंदनाशी प्रति किलो की दर से उपचारित करके बुवाई करें.
उड़द व अन्य खरीफ दलहन
इनकी बुवाई से पहले बीज को 3 ग्राम थाइरम, 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी या 1 ग्राम कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी से प्रति किलो की दर से उपचारित करें. ऐसा करने से कम खर्च में फसल रोगमुक्त हो सकती है. बाद में उसमें बीमारी लगने की संभावना न्यूनतम हो जाएगी.

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