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कोरोना के दौरान देश में आखिर क्यों बढ़ रहे हैं लोन फ्रॉड मामले जानिए डिटेल

Teja
19 Jan 2022 8:50 AM GMT
कोरोना के दौरान देश में आखिर क्यों बढ़ रहे हैं लोन फ्रॉड मामले जानिए डिटेल
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दुनियाभर में कोरोनावायरस का कहर जारी है. भारत में भी कोरोना वायरस ने जमकर उत्पात मचा रखा है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | दुनियाभर में कोरोनावायरस का कहर जारी है. भारत में भी कोरोना वायरस ने जमकर उत्पात मचा रखा है. देशभर में कोरोना के लाखों नए मामले सामने आ रहे हैं और सैकड़ों लोगों की मौतें हो रही हैं. इसी बीच कोरोना के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट के चलते सरकारों को एक बार फिर तरह-तरह की पाबंदियां लगानी पड़ रही हैं, जिससे लोगों के काम-धंधे पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. कोरोना काल के दौरान संकट से जूझ रहे MSME सेक्‍टर यानी छोटे एवं मझोले कारोबारी इकाइयों को बैंकों (Banks) ने खूब लोन बांटे हैं, लेकिन अब इन्‍हीं सेक्‍टर के लोन में फ्रॉड (Loan Frauds) का खतरा बढ़ा है. बताया जा रहा है कि बैंकों ने लोन देते समय इनकी सही तरीके से निगरानी नहीं की है. ये खुलासा डेलॉयट इंडिया (Deloitte India) के एक सर्वे में हुआ है. इस सर्वे में कई बैंकों में अनुपालन और जालसाजी जोख‍िम प्रबंधन के लिए जिम्‍मेदार 72 सीनियर मैनेजमेंट एग्‍जीक्‍यूटिव्‍स को शामिल किया गया था. इसलिए इस सर्वे को प्रमाण‍िक माना जा सकता है. इनमें सरकारी, निजी, विदेशी, सहकारी, ग्रामीण सभी तरह के बैंकों के अध‍िकारी शामिल थे.

उपलब्ध कराया गया 4.5 लाख करोड़ रुपए का लोन
सर्वे में शामिल करीब 51 फीसदी अध‍िकारियों ने यह संकेत दिया कि वे फ्रॉड से संबंध‍ित जोखिम प्रबंधन के तहत नियमित रूप से होने वाली निगरानी प्रक्रिया में MSME को शामिल नहीं करते. यह काफी चिंता की बात है.
कोरोना काल के दौरान सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्‍कीम यानी ECLGS शुरू की थी. इसके तहत ही MSME और अन्‍य कारोबार को सहयोग देने के लिए बिना किसी जमानत के 4.5 लाख करोड़ रुपए का लोन उपलब्‍ध कराया गया.
देश में आखिर क्यों बढ़ रहे हैं लोन फ्रॉड के मामले
एक रिपोर्ट के अनुसार इस योजना के तहत भारतीय स्‍टेट बैंक ने 21 नवंबर, 2021 तक 2.9 लाख करोड़ रुपए का लोन वितरित किया है. सर्वे में शामिल 78 फीसदी अधिकारियों ने यह माना है कि अगले दो साल में बैंकों में फ्रॉड और बढ़ सकते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्राहकों के लेनदेन के लिए डिजिटल चैनलों के उपयोग में बढ़त ने एक ओर जहां लेनदेन को आसान बनाया है, वहीं इससे अनजाने में बैंकों के लिए नई कमजोरियां और जालसाजों के लिए अवसर पैदा हो गए हैं.


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