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जानिए कौन कब और कैसे कर सकता है गांजे की खेती

Gulabi
1 Nov 2021 8:50 AM GMT
जानिए कौन कब और कैसे कर सकता है गांजे की खेती
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गांजे की खेती

महाराष्ट्र के बीड जिले में येलंब गांव में गांजे की सामूहिक खेती करने का मामला सामने आया है. पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर आगे की कार्यवाही की हैं. पुलिस ने बताया इस जिले में गांजा की खेती करने वाले किसानों के ऊपर ये दूसरी बार कार्यवाही हो रही हैं कुछ दिन पहले इसी जिले में कुछ किसानों के पास से 1 क्विंटल 7 किलो गांजा जब्त किया गया था.इस पूरे मामले में अब स्थानिय पुलीस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. महाराष्ट्र में कुछ दिन पहले औरंगाबाद में भी किसान ने आर्थिक लाभ के लिए गांजे की खेती करते हुए पकड़ा गया था.किसान के पास से 9 लाख रुपए और 303 पौधे जब्त कर पुलिस ने मामला दर्ज किया था.देश मे गांजे की खेती पर प्रतिबंध है.फिर भी महाराष्ट्र के किसान पैसा कमाने के लिए इसकी खेती चुपके से करते हैं.


पुलिस ने तीन लोगों को किया गिफ्तार
परली वैजनाथ तहसील के येलंब गांव में पुलिस ने चार ठिकानों पर छापेमारी की थी. जैसे ही पुलिस को जानकारी मिली कि येलंब गाँव मे कुछ किसान अपने खेतों में छुपा के गांजे की खेती कर रहे हैं.खबर मिलते ही पुलिस ने छापेमारी कर 3 लोगों को हिरासत में लिया और उनके पास से पुलिस ने 2 क्विंटल गांजा और कुछ पौधें जब्त कर पुलिस इस मामले की जांच कर आगे की कार्रवाई कर रही है.
औरंगाबाद में भी किसान गांजे की खेती करते हुए पकड़ा गया था
औरंगाबाद में भी किसान ने आर्थिक लाभ के लिए गांजे की खेती करते हुए पकड़ा गया था. किसान के पास से157 किलो गांजा जब्त किया गया था. साथ ही 303 गांजे के पौधे बरामत किए गए थे.और 9 लाख रुपये से अधिक की राशि भी जब्त कर किसान को गिफ्तार कर लिया गया था.
कौन कब और कैसे कर सकता है गांजे की खेती
नारकोटिक्टस ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटैंस एक्ट, 1985 के तहत उन मामलों में कार्रवाई की जाती है, जो ड्रग्स से जुड़े होते हैं. इस एक्ट में नारकोटिक और साइकोट्रॉपिक रसायनों को लेकर प्रतिबंध लगाए जाते हैं. इन केमिकलों या दवाओं पर कंट्रोल करने वाले कानून एनडीपीएस एक्ट को हिंदी में स्वापक औषधि और मन:प्रभावी अधिनियम, 1985 कहते हैं. इस कानून को नशीली दवा और मादक पदार्थ अधिनियम 1985 भी कहा जाता है. साल 1985 में संसद से पारित हुआ यह कानून किसी व्यक्ति को मादक दवाओं के निर्माण, उत्पादन, खेती, स्वामित्व, खरीद, भण्डारण, परिवहन, उपभोग करने या रखने के लिए प्रतिबंधित करता है. इस NDPS एक्ट के सेक्शन 20 के अंतर्गत जो प्रावधान हैं, उन्हें देखिए.
सबसे पहले यह सेक्शन यह प्रावधान देता है कि इसके किसी भी नियम के उल्लंघन पर सज़ा दी जाएगी.यह सेक्शन कैनेबी यानी भांग के पौधे को उगाने को प्रतिबंधित करता है. उत्पादन, खरीद फरोख्त, परिवहन, आयात निर्यात के साथ ही पज़ेशन यानी इस पौधे के उत्पाद गांजे को रखना भी दंडनीय है. इसके लिए कठोर कैद की सज़ा का प्रावधान है, जो मात्रा के हिसाब से तय हो सकती है. मात्रा अगर कम हो तो छह महीने या एक साल तक कठोर कैद के साथ ही 10 हज़ार रुपये तक जुर्माना हो सकता है या दोनों. ज़्यादा मात्रा होने पर एक लाख रुपये कम से कम जुर्माने के साथ ही 20 साल तक की कठोर कैद की सज़ा संभव है
उत्तराखंड में शासन के आदेश के अनुसार, स्वंय की जमीन थवा पट्टाधारक को ही भांग के पौधे की खेती के लिए अनुमति प्रदान की जाती है.जिस व्यक्ति के नाम जमीन होगी, वह किसी वाणिज्यिक व औद्योगिक इकाई के साथ साझेदारी में ही भांग की खेती के लिए आवेदन कर सकता है. भांग की खेती करने के लिए किसी भी व्यक्ति को खेत विवरण, क्षेत्रफल व सामग्री भंडारण करने के परिसर की जानकारी के अलावा चरित्र प्रमाण पत्र के साथ डीएम के सामने आवेदन करना होता है.
लाइसेंस के लिए प्रति हेक्टेयर एक हजार रुपये का शुल्क देना होता है. एक जिले से दूसरे जिले में बीज लेने जाने के लिए भी डीएम की अनुमति की जरूरत पड़ती है. डीएम फसल की जांच भी कर सकता है. यदि खेती के दौरान तय मानकों का उल्लंघन होगा तो तय क्षेत्रफल से अधिक की फसल को नष्ट कर दिया जाएगा.


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