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जानिए क्या है सिम स्वैपिंग जिससे लाखों का चूना लगा रहे ठग

Tara Tandi
16 July 2022 12:10 PM GMT
जानिए क्या है सिम स्वैपिंग जिससे लाखों का चूना लगा रहे ठग
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तकनीक के बढ़ते दायरे के साथ अब ठगी करने के तरीके भी एडवांस हो रहे हैं. फिशिंग, मालवेयर और रैंनसमवेयर के बाद अब सिम स्वैपिंग (Sim Swapping) के मामले भी बढ़ रहे हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तकनीक के बढ़ते दायरे के साथ अब ठगी करने के तरीके भी एडवांस हो रहे हैं. फिशिंग, मालवेयर और रैंनसमवेयर के बाद अब सिम स्वैपिंग (Sim Swapping) के मामले भी बढ़ रहे हैं. दिल्ली और मुंबई समेत कई मेट्रो शहरों में सिम स्वैपिंग के जरिए ठगी होने के मामले सामने आ चुके हैं. यह ऐसा तरीका है, जिसमें सायबर क्रिमिनल यूजर के डुप्लीकेट सिम (Duplicate Sim Freud) के जरिए ठगी करते हैं. ऐसे ठगी करने पर ठगों के पास यूजर के कॉल लॉग लेकर OTP तक पहुंचने लगते हैं. सायबर क्रिमिनल (Cyber Criminals) इसका कई तरीके से फायदा उठाते हैं. हालांकि, कुछ बातों कास ध्यान रखकर इस तरह की ठगी से खुद को बचा सकते हैं.

क्या है सिम स्वैपिंग, सायबर क्रिमिनल कैसे कैसे यूजर को ठगते हैं और किस तरह से ठगी से खुद को बचा सकते हैं, जानिए इन सवालों के जवाब…
क्या होती है सिम स्वैपिंग?
आसान शब्दों में समझें को सिम स्वैपिंग का सीधा का मतलब है डुप्लीकेट सिम निकलवाना. ठगी के इस तरीके में सायबर क्रिमिनल यूजर के सिम का डुप्लीकेट सिम निकलवाते हैं. यूजर के मोबाइल नंबर से एक नए सिम का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. ऐसा होने के बाद यूजर के पास मौजूद सिम बंद हो जाता है और ठग दूसरा सिम निकलवाते हैं और यहीं से खेल शुरू होता है.
उस डुप्लीकेट सिम को ठग अपनी डिवाइस में इस्तेमाल करते हैं. यूजर के नम्बर पर आने वाली कॉल, मैसेज और ओटीपी तक ठग अपनी पहुंच बना लेते हैं. यहीं से बैंकिंग फ्रॉड करने के साथ ठग कई तरह की पर्सनल जानकारी हासिल करते हैं.साइबर एंड लॉ फाउंडेशन की रिसर्च कहती है, ठगों ने सिम स्वैपिंग के जरिए 2018 में सिर्फ भारत में 200 करोड़ रुपये उड़ाए थे.
ऐसे करते हैं सिम स्वैपिंग
नए नम्बर से करते हैं कॉल: सिम स्वैपिंग के लिए ठग यूजर को टार्गेट करते हैं. किसी तरह उसका आइडी प्रूफ और सिम कार्ड प्राप्त करते हैं. एक्सपर्ट कहते हैं, इसके पीछे एक बड़ा गिरोह काम करता है, जो यूजर पर सोशल मीडिया के जरिए नजर रखते हैं. पहले यूजर के बारे में जानकारियां जुटाते हैं. इनका मकसद सिम और आइडी प्रूफ हासिल करना होता है. ये अंजान नम्बर से कॉल करके पूरी योजना को अंजाम देते हैं.
खुद को नेटवर्क प्रोवाइडर बताते हैं: ये ठग यूजर को नए नम्बर से कॉल करते हैं और खुद को नेटवर्क प्रोवाइडर कंपनी जैसे एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया या जियो का कर्मचारी बताते हैं. इंटरनेट और कॉल ड्रॉप जैसे मामलों का हवाला देकर कॉल के दौरान नया सिम कार्ड जारी करने के लिए कहते हैं.
फोन से नेटवर्क गायब मतलब इनका रास्ता साफ: अगर आप नए सिम कार्ड के लिए आवेदन कर देते हैं तो फोन से नेटवर्क गायब हो जाता है. ऑनलाइन आवेदन के बाद ये स्टोर से जाकर सिम भी हासिल कर लेते हैं. यह सिम स्वैपिंग के लिए सिम हासिल करने का एक तरीका है. सायबर क्रिमिनल ऐसे कई तरीके अपनाते हैं. इसके जरिए बैंकिंग से जुड़े ओटीपी हासिल करके लाखों रुपये उड़ाते हैं. इसलिए अलर्ट रहें.
कैसे सिम स्वैपिंग के खतरे से बचें
यूजर का सिम बंद होने के बाद उसे बैंकिंग ट्रांजेक्शन की जानकारी नहीं मिल पाती, इसका फायदा ठग उठाते हैं. इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है. जैसे- कभी भी कोई नेटवर्क प्रोवाइडर यूजर को फोन करके डुप्लीकेट सिम लेने की बात नहीं करता, इसलिए कॉल्स को लेकर अलर्ट रहें. अपनी आइडी से जुड़े दस्तावेजों और फोटो कॉपी को संभालकर रखें. कभी भी फोन में नेटवर्क गायब रहता है तो उसी नेटवर्क वाले दूसरे यूजर्स से कंफर्म करें. अगर उनका नेटवर्क नहीं बंद हुआ है तो ऑफलाइन नेटवर्क प्रोवाइडर के स्टोर पर जाकर सिम कार्ड के बारे में सवाल पूछें.
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