क्या आपको भी लगता है कि इन्वर्टर एसी में बैटरी लगी होती है और यह एसी बिना बिजली के चलते हैं? हालांकि हकीकत में ऐसा नहीं है। इन्वर्टवर का मतलब यह नहीं है कि एसी में बैटरी लगी होती है। इन्वर्टर एक तरह की तकनीक है, जिससे बिजली की खपत को कम करने में मदद मिलती है। आइए जानत हैं कि आखिर इन्वर्टर एसी कैसे काम करते हैं? साथ ही इन्वर्टर और नॉन इन्वर्टर एसी में क्या अंतर होता है? और यह कैसे काम करते हैं?
क्या होते हैं इन्वर्टर एसी?
इन्वर्टर एक तरह की टेक्नोलॉजी होती है। जिन एसी में इन्वर्टर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है, उसे इन्वर्टर एसी कहा जाता है। इस तरह के एसी में इलेक्ट्रिक वोल्टेड, करंट और फ्रिक्वेंसी को कंट्रोल करने के लिए कंट्रोलर लगाया जाता है। जो एसी के कंप्रेसर में होने वाली पावर सप्लाई को कंट्रोल करता है। इससे बिजली की बेहद कम खपत होती है। इन्वर्टर एसी में तापमान में बदलाव होने के साथ कूलिंग में बदलाव होता है, जबकि नॉन इन्वर्टर एसी में एक निश्चित तापमान पर एसी कूलिंग करता है। कहने का मतलब है कि जब एसी में जब कमरा ठंडा हो जाता है, तो एसी का कंप्रेसर धीमा हो जाता है। इससे बिजली की खपत कम होती है।
इन्वर्टर एसी में बिजली की खपत कम होती है। इससे बिजली का बिल कम आता है। जबकि नॉन इन्वर्टर एसी में ज्यादा बिजली का बिल आता है। इन्वर्टर एसी का ऑप्शन केवल स्पिलिट एसी में ही मिलता है। विडों में इन्वर्टर एसी का ऑप्शन नहीं मिलता है।
कीमत में होगा अंतर
नॉन-इनवर्टर एसी की कीमत इन्वर्टर एसी के मुकाबले कम होती है। लेकिन अगर आप एसी को ज्यादा साल के लिए खरीदते हैं, तो नॉन इन्वर्टर एसी खरीदना बेहतर होता है, क्योंकि इन्वर्टर एसी में कम बिजली की खपत होती है।