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जानिए क्या होता है बैटरी स्वैपिंग नीति और इससे कैसे होगा फायदा

Subhi
8 Feb 2022 3:06 AM GMT
जानिए क्या होता है बैटरी स्वैपिंग नीति और इससे कैसे होगा फायदा
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भारत दुनिया का सबसे बड़े ऑटोमोबाइल्स बाजार में से एक है और इस समय देश का मिजाज इलेक्ट्रिक व्हीकल की राइड पर है तो, वहीं भारत सरकार भी ईवी को बढ़ावा देने के लिए तरह तरह का प्रयास कर रही है।

भारत दुनिया का सबसे बड़े ऑटोमोबाइल्स बाजार में से एक है और इस समय देश का मिजाज इलेक्ट्रिक व्हीकल की राइड पर है तो, वहीं भारत सरकार भी ईवी को बढ़ावा देने के लिए तरह तरह का प्रयास कर रही है। इसी प्रयास में सरकार ने बजट 2022-23 में बैटरी स्वैपिंग नीति लागू करने की बात कही। इस खबर के माध्यम से आपको बताने जा रहे हैं क्या है ये पॉलिसी और इससे आपको क्या फायदा होगा।

जानिए क्या होता है बैटरी स्वैपिंग

बजट में वित्त मंत्री ने ईवी सेक्टर के लिए बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी लागू करने की बात कही हैं। बैटरी स्वैपिंग एक ऐसी विधि है, जिसमें समाप्त बैटरी को पूरी तरह चार्ज बैटरी से बदल दिया जाता है। बैटरी की अदला-बदली चिंता, कम वाहन लागत और कुशल चार्जिंग व्यवस्था के लिए एक संभावित समाधान है। यह नए बैटरी पैक खरीदने में लगने वाली लागत से बचाता है, जिससे इलेक्ट्रिक व्हीकल यूजर्स के जेब पर अधिक भार नहीं जाता है।

बैट्री स्वैपिंग सेंटर खुलने से फायदे

बैट्री को एक सेवा कारोबार का रूप देने से बैट्री से चलने वाले दोपहिया व तिपहिया वाहनों की कीमत भी कम हो जाएगी और इसका चलन बढ़ेगा। इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की कीमत में 40-50 फीसद हिस्सेदारी बैट्री की होती है। बैट्री स्वैपिंग कारोबार के विकसित होने पर इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदार बिना बैट्री के स्कूटर खरीद सकेगा और बैट्री स्वैपिंग सेंटर पर जाकर मामूली कीमत देकर किराए पर बैट्री लेकर स्कूटर या अन्य इलेक्ट्रिक वाहन चला सकेगा। अभी इलेक्ट्रिक स्कूटर कंपनी अपने ग्राहकों को चार्जिंग प्लग भी दे रही है। लेकिन देश के कई ऐसे शहर है जहां जगह की भारी कमी है और वहां सभी जगहों पर चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध नहीं हो सकते हैं। ऐसे में, बैट्री स्वैपिंग काफी कारगर साबित होगी।

ऑटो सेक्टर के लिए बजट 2022-23

बैटरी स्वैपिंग नीति लागू की जाएगी- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की थी कि इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम में और दक्षता को बढ़ावा देने के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति लागू की जाएगी, जिससे बड़े पैमाने पर बैटरी स्टेशन स्थापित करने के लिए एक बैटरी स्वैपिंग नीति लाई जाएगी और इंटरऑपरेबिलिटी मानक तैयार किए जाएंगे। निजी क्षेत्र को एक सेवा के रूप में बैटरी और ऊर्जा के लिए टिकाऊ और अभिनव मॉडल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जो ईवी ई में दक्षता बढ़ाएगा।

आपको बता दें, हर चार-पांच किलोमीटर पर बैट्री स्वैपिंग सेंटर होने पर लोग तेजी से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएंगे। सूत्रों के मुताबिक सभी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी अपने स्वैपिंग सेंटर लगाएंगे या फिर सिर्फ बैट्री स्वैपिंग का काम करने वाली कंपनियां निर्माता कंपनियों के लिए बैट्री स्वैपिंग सेंटर विकसित कर सकती है। बैट्री स्वैपिंग सेंटर को चलाने के लिए बहुत अधिक जगह की जरूरत नहीं होगी। इसलिए किराना स्टोर, रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप जैसी किसी भी जगह छह मीटर की जगह में बैट्री स्वैपिंग मशीन रखी जा सकती है। यह मशीन एटीएम मशीन की तरह होती है, जिसमें एक साथ छह से आठ चार्जड बैट्री रखी जाती है। बैट्री स्वैपिंग के दौरान चार्जड बैट्री को निकाल कर उसमें डिस्चार्ज बैट्री लगा दी जाती है। बंगलुरू में बैट्री स्वैपिंग का काम कर रही है।


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