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विकली आधार पर 82 पैसे की गिरावट
ग्लोबल बॉन्ड मार्केट्स में बॉन्ड के दामों में भारी गिरावट के बीच अमेरिकी डॉलर (US Dollar) के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में शुक्रवार को 19 महीनों की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई. रुपया 104 पैसे का गोता लगा कर प्रति डालर 73.47 पर बंद हुआ. मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा कि अमेरिका और सीरिया के बीच बढ़ते तनाव के कारण भी निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित हुई.
इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले 72.43 पर खुलने के बाद कारोबार के दौरान दिन के निम्नतम स्तर 73.51 रुपए को छू गया. अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 104 पैसे की गिरावट के साथ 73.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ.
विकली आधार पर 82 पैसे की गिरावट
यह 5 अगसत 2019 केबाद रुपए की विनिमय दर में सबसे बड़ी गिरावट है. शुक्रवार को बाजार बंद होने के समय विनिमय दर 72.43 प्रति डॉलर थी. साप्ताहिक आधार पर डॉलर के मुकाबले रुपए में 82 पैसे की गिरावट आई है.
छह प्रमुख करेंसी के समक्ष डॉलर की स्थिति दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.43 फीसदी की तेजी के साथ 90.52 हो गया. विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में नेट बायर रहे जिन्होंने बुधवार को 28,739.17 करोड़ रुपए के शेयरों की खरीदारी की.
वैश्विक मानक ब्रेंट क्रूड वाायदा का भाव 0.99 फीसदी की गिरावट के साथ 66.22 डॉलर प्रति बैरल रह गया.
शेयर बाजार का ब्लैक फ्राइडे
सप्ताह के आखिरी कारोबारी सत्र में शेयर बाजार में भारी गिरावट दिखाई दी. सेंसेक्स आज 1939 अंकों की गिरावट (-3.80%) के साथ 49,099 के स्तर पर और निफ्टी 568 अंकों की गिरावट (-3.76%) के साथ 14529 के स्तर पर बंद हुआ. सेसेंक्स की टॉप-30 में शामिल सभी कंपनियों का शेयर आज लाल निशान में बंद हुए. ओएनजीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, पावर ग्रिड, बजाज फाइनेंशियल सर्विसेज और एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंकों के शेयरों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है.
क्या है फायदा?
कमजोर रुपया एक्सपोर्टर्स के लिए अच्छी खबर है. इसकी वजह यह है कि उन्हें विदेश में सामान बेचने से आय होती है. उन्हें अपने उत्पाद की ज्यादा कीमत मिलती है. उदाहरण के लिए आईटी और फार्मा कंपनियों को रुपये में कमजोरी से फायदा होता है. इसकी वजह यह है कि उनकी ज्यादातर आय विदेश से होती है.
क्या है नुकसान?
भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव और बढ़ा सकती हैं. डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है.
इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपए की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.
छुट्टियां बिताने या पढ़ाई के लिए विदेश जाना महंगा हो जाएगा. कंप्यूटर्स, स्मार्टफोन और कारें महंगी हो जाएंगी, क्योंकि इनके उत्पादन में कई आयातित चीजों का इस्तेमाल होता है. आयात आधारित सभी उद्योगों पर खराब असर पडे़गा.
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