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कम लागत, आसानी से रख-रखाव और बढ़िया मुनाफा, यही वजह है कि देश में बकरी पालन (Goat farming) का व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- कम लागत, आसानी से रख-रखाव और बढ़िया मुनाफा, यही वजह है कि देश में बकरी पालन (Goat farming) का व्यवसाय बहुत तेजी से बढ़ रहा है. बकरी पालन किसानों की आय का मुख्य जरिया बनता जा रहा है. दूसरे मवेशियों की तुलना में इसके पालन में नुकसान होने की आशंका भी बहुत कम रहती है. ऐसे में अगर पशुपालक बकरी की अच्छी नस्लों (Best breeds of goat) का चयन कर पालन शुरू करें तो मुनाफा और बढ़ सकता है.
वैसे तो बकरियों की कई नस्ले हैं जिनका पालन किसान या व्यवसायी करते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि बकरी की नस्लों (breeds of goat) का चयन स्थान के हिसाब से करना चाहिए. अगर आप उत्तर प्रदेश में हैं तो वहीं के हिसाब से और अगर उत्तराखंड में वहां के हिसाब नस्लों का चयन जरूरी होता है. इस खबर में हम बकरियों की उन्नत नस्लों के बारे में तो जानेंगे ही, यह भी जानेंगे उनका किस क्षेत्र के लिए सही होगा.
ये है बकरियों की 5 उन्नत नस्ल
जमुनापारी (Jamunapari Goat)
बकरी की ये नस्ल उत्तर प्रदेश के मथुरा, ईटावा और उसके आसपास के क्षेत्रों में पाई जाती है. ये दूध और मांस, दोनों के लिए बेहतर मानी जाती है. इसे बकरी की सबसे अच्छी नस्ल कहा जाता है. लंबे कानों वाली ये बकरी 2 से 2.5 ढाई लीटर दूध प्रतिदिन देती है.
बरबरी बकरी (Barbari Goat)
बरबरी बकरी भी उत्तर प्रदेश में पाई जाती है इसका पालन एटा, अलीगढ़ और आगरा जैसे जिलों में होती है. इसका पालन मांस के लिए किया जाता है. नली की तरह कान लिए इस नस्ल का पालन दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों के लिए अच्छी मानी जाती है.
बीटल बकरी (Betel Goat)
पंजाब के गुरुदासपुर, फिरोजपुर और अमृतसर के आसपास पाई जाने वाली इस नस्ल को दूध और मांस, दोनों के उत्पादन के लिए जाना जाता है. 12 से 18 महीने के बीच पहली बार बच्चे को जन्म देती है.
सिरोही बकरी (Sirohi Goat)
सिरोही बकरी का पालन राजस्थान के सिरोही, अजमेर, बांसवाड़ा, राजसमंद और उदयपुर के क्षेत्रों में होता है. ये नस्ल दूध और मांस, दोनों के लिए काम आती है. 18 से 24 महीने के बीच पहली बार बच्चे को जन्म देती है.
ब्लैक बंगाल (Black Bengal Goat)
बकरी की इस नस्ल का पालन मांस के लिए किया जाता है. दक्षिण और पश्चिमी बंगाल, बिहार, झारखंड, असम, मेघालय और त्रिपुरा में इसका पालन किया जाता है. इसके पैर छोटे होते हैं और रंग काला होता है. बाल छोटे तथा चमकीले होते हैं.
ओस्मानाबादी (Osmanabadi Goat)
इस नस्ल का भी पालन ज्यादातर मांस के लिए ही किया जाता है. महाराष्ट्र के उस्मानाबाद, परभणी, अहमदनगर और सोलापुर जिले में इस नस्ल का पालन होता है. काले रंग ये बकरी साल में दो बार बच्चे देती है.
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