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जानिए जीएसटी काउंसिल में QRMP स्कीम से स्मॉल बिजनेसमैन को कैसे हो रहा है फायदा

Apurva Srivastav
9 May 2021 6:29 PM GMT
जानिए जीएसटी काउंसिल में QRMP स्कीम से स्मॉल बिजनेसमैन को कैसे हो रहा है फायदा
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GST को लागू किए हुए करीब चार साल हो गए हैं. इस दौरान जीएसटी काउंसिल की 44 बैठक हुई है

GST को लागू किए हुए करीब चार साल हो गए हैं. इस दौरान जीएसटी काउंसिल की 44 बैठक हुई है और हर बैठक के बाद इसके नियमों को आसान किया गया. कुछ पहलुओं को छोड़ दें तो अब व्यापारी और टैक्स विभाग के बीच काफी हद तक सामंजस्य बन गया है. छोटे व्यापारियों को रिटर्न फाइलिंग में आसानी हो, इस मकसद से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने QRMP (Quarterly Return Filing and Monthly Payment of Taxes) की शुरुआत की थी.

इस स्कीम में रिटर्न फाइलिंग तिमाही आधार पर होती है, हालांकि टैक्स हर महीने जमा करना होता है. इस स्कीम से छोटे व्यापारियों को काफी फायदा भी हो रहा है. इस आर्टिकल में QRMP स्कीम के बारे में सबकुछ जानेंगे. इस स्कीम को 1 जनवरी 2021 को लॉन्च किया गया था. अगर पिछले वित्त वर्ष में किसी व्यापारी का टर्नओवर 5 करोड़ से कम रहा है तो वह इस स्कीम का फायदा उठा सकता है. अगर किसी तिमाही में टर्नओवर 5 करोड़ को क्रॉस कर जाता है तो अगली तिमाही वह इसका लाभ नहीं उठा सकता है.
GSTR-1 के जरिए सरकार को मंथली सेल्स की जानकारी देते हैं
इस आर्टिकल में GSTR-3B, GSTR-1 का जिक्र बार-बार किया जाएगा तो बात दें कि GSTR-1 के जरिए आप हर महीने सरकार को बताते हैं कि आपने कितनी बिक्री की है. इसे सेल्स रिटर्न कहा जाता है जबकि GSTR-3B में आप पर्चेज को भी दिखाते हैं और इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेकर बचा हुआ टैक्स जमा करते हैं. हर महीने का टैक्स अगले महीने के 25 तारीख तक जमा करना होता है. मतलब जनवरी महीने में जितने टैक्स की देनदारी बनती है, उसे फरवरी के 25 तारीख तक जमा किया जा सकता है.
दो तरह से टैक्स जमा किया जाता है
QRMP स्कीम में दो तरह से टैक्स का कैलकुलेशन किया जाता है. अगर आपका बिजनेस हर महीने लगभग सामान्य स्तर पर रहता है तो पिछली तिमाही में जितना टैक्स जमा किया है उसका 35 फीसदी पहले महीने में, दूसरे महीने में भी 35 फीसदी जमा करेंगे और तीसरे महीने में GSTR-3B के साथ बाकी का सारा टैक्स जमा कर देंगे. अगर आपका बिजनेस सिजनल है, मतलब अलग-अलग महीने का टर्नओवर अलग-अलग होता है तो सेल्फ असेसमेंट के आधार पर हर हमीने टैक्स जमा कर सकते हैं. हालांकि अगर मंथली लाएबिलिटी से कम टैक्स जमा किया तो इंट्रेस्ट भी लगता है.


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