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जानिए कैसे सोयाबीन की नई किस्म से बढ़ेगा उत्पादन

Apurva Srivastav
30 April 2021 8:57 AM GMT
जानिए कैसे सोयाबीन की नई किस्म से बढ़ेगा उत्पादन
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भारतीय वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की अधिक उपज देने वाली और कीट प्रतिरोधी की एक किस्म विकसित की है

भारतीय वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की अधिक उपज देने वाली और कीट प्रतिरोधी की एक किस्म विकसित की है. एमएसीएस 1407 नाम की यह नई विकसित किस्म असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर के राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त है. इसके बीज अगले वर्ष 2022 के खरीफ के मौसम के दौरान किसानों को बुवाई के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे.

साल 2019 में भारत में व्यापक रूप से तिलहन के साथ-साथ पशु आहार के लिए प्रोटीन के सस्ते स्रोत और कई पैकेज्ड भोजन के तौर पर सोयाबीन की खेती हुई थी. उस वर्ष इसका उत्पादन लगभग 90 मिलियन टन था. भारत दुनिया के प्रमुख सोयाबीन उत्पादकों में शुमार होने का प्रयास कर रहा है. सोयाबीन की अधिक उपज देने वाली और रोग प्रतिरोधी ये किस्में भारत के इस लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकती हैं.
खेती के उन्नत तरीके भी हुए विकसित
भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान एमएसीएस-अग्रहार रिसर्च इंस्टीट्यूट (ARI), पुणे के वैज्ञानिकों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली के सहयोग से सोयाबीन की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित किया है. साथ ही सोयाबीन की खेती के उन्नत तरीकों को भी तैयार किया है.
अधिक उपज देने वाली किस्म
उन्होंने पारंपरिक क्रॉस ब्रीडिंग तकनीक का उपयोग करके एमएसीएस 1407 को विकसित किया, जोकि प्रति हेक्टेयर में 39 क्विंटल का पैदावार देते हुए इसे एक अधिक उपज देने वाली किस्म बनाता है. यह गर्डल बीटल, लीफ माइनर, लीफ रोलर, स्टेम फ्लाई, एफिड्स, व्हाइट फ्लाई और डिफोलिएटर जैसे प्रमुख कीट-पतंगों का प्रतिरोधी भी है. इसका मोटा तना, जमीन से ऊपर (7 सेमी) फली सम्मिलन और फली बिखरने का प्रतिरोधी होना इसे यांत्रिक कटाई के लिए भी उपयुक्त बनाता है. यह पूर्वोत्तर भारत की वर्षा आधारित परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है.
बुआई के लिए बेहतरीन समय
इस अनुसंधान का नेतृत्व करने वाले ARI के वैज्ञानिक संतोष जयभाई ने कहा कि "एमएसीएस 1407 ने सबसे अच्छी जांच किस्म की तुलना में उपज में 17 प्रतिशत की वृद्धि की और योग्य किस्मों के मुकाबले 14 से 19 प्रतिशत अधिक उपज लाभ दिखाया. सोयाबीन की यह किस्म बिना किसी उपज हानि के 20 जून से 5 जुलाई के दौरान बुआई के लिए अत्यधिक अनुकूल है. यह इसे अन्य किस्मों की तुलना में मानसून की अनिश्चितताओं का अधिक प्रतिरोधी बनाता है."
अच्छी अंकुरण क्षमता
एमएसीएस 1407 को 50 प्रतिशत फूलों के कुसुमित होने के लिए औसतन 43 दिनों की जरूरत होती है और इसे परिपक्व होने में बुआई की तारीख से 104 दिन लगते हैं. इसमें सफेद रंग के फूल, पीले रंग के बीज और काले हिलम होते हैं. इसके बीजों में 19.81 प्रतिशत तेल की मात्रा, 41 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा होती है और यह अच्छी अंकुरण क्षमता दर्शाती है.
अधिक उपज, कीट प्रतिरोधी, कम पानी और उर्वरक की जरूरत वाली और यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त सोयाबीन की इस किस्म को हाल ही में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली फसल मानकों से जुड़ी केन्द्रीय उप समिति, कृषि फसलों की किस्मों की अधिसूचना और विज्ञप्ति द्वारा जारी किया गया है और इसे बीज उत्पादन और खेती के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध कराया जा रहा है.


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