जानिए Credit card पर किस तरह होता है इंट्रेस्ट कैलकुलेशन, आपको कितना होता है नुकसान
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| क्रेडिट कार्ड में आपको शॉपिंग करने के बाद पेमेंट के लिए मैक्सिमम 50 दिनों का समय मिलता है। हर महीने इसकी एक बिलिंग डेट होती है। बिलिंग डेट के बाद 20 दिनों का समय अलग से मिलता है। वह आपका पेमेंट डेट होता है जिसे ड्यू डेट ऑफ पेमेंट भी कहते हैं। पेमेंट स्टेटमेंट में पार्शियल पेमेंट या मिनिमम पेमेंट का भी ऑप्शन होता है। यह कुल बिलिंग अमाउंट का 5 फीसदी होता है।
मिनिमम पेमेंट से लेट फाइन से बचेंगे
अगर आप ड्यू डेट में पेमेंट नहीं करते हैं तो मिनिमम पेमेंट के जरिए भी काम चलाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए आपको कुछ चार्ज अलग से भरना होगा। एक ट्रांजैक्शन पर आपको तब तक इंट्रेस्ट भरना पड़ता है, जब तक वह पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता है। इसके अलावा भी कई तरह के चार्जेज होते हैं। ऐसे में आप अगर ड्यू डेट के बाद पेमेंट करने के बारे में सोच रहे हैं तो यह समझ लें कि कई तरह के चार्जेज पे करने होंगे। इसके अलावा मिलने वाले कई फायदे से भी आप वंचित रहेंगे।
इंट्रेस्ट काफी ज्यादा
अगर ड्यू डेट तक फुल पेमेंट नहीं करते हैं तो आपको इंट्रेस्ट के साथ-साथ पेनाल्टी भी भरना होगा। इतना ही नहीं, आपको इंट्रेस्ट फ्री पीरियड का भी लाभ नहीं मिलेगा। ऐसे में हमेशा यह कोशिश होनी चाहिए कि ड्यू डेट तक आप पूरे बिल को चुका दें। अगर ऐसा नहीं होता है तो कम से कम 100 पर्सेंट मिनिमम अमाउंट जरूर चुका दें। इससे आप लेट फीस से बच सकते हैं। बिल को कैरी फॉरवर्ड करने पर आपको आउटस्टैंडिंग अमाउंट पर सालाना 36-42 पर्सेंट तक इंट्रेस्ट भरना होगा।
ड्यू डेट तक फुल पेमेंट
इसे उदाहरण के आधार पर समझते हैं। A एक शख्स है जो क्रेडिट कार्ड यूज कर रहा है।
बिलिंग डेट- 6 सितंबर
ड्यू डेट ऑफ पेमेंट- 26 सितंबर
ट्रांजैक्शन डेट - 1 सितंबर
ट्रांजैक्शन अमाउंट- 10 हजार
मिनिमम अमाउंट- 500 रुपये
ड्यू डेट से पहले पार्शियल पेमेंट
कंडिशन 1 (फुल पेमेंट टिल ड्यू डेट) - अगर वह 26 सितंबर तक पूरा पेमेंट कर दिया होगा तो उसे किसी तरह का कोई चार्ज नहीं लगेगा। इस केस में इंट्रेस्ट रेट और ट्रांजैक्शन चार्ज भी नहीं लगेगा।
कंडिशन 2- (पार्शियत पेमेंट टिल ड्यू डेट)
ट्रांजैक्शन डेट - 1 सितंबर
ट्रांजैक्शन अमाउंट- 10 हजार
पेमेंट डेट -21 सितंबर
पेमेंट मेड- 5000 रुपये
नेक्स्ट बिलिंग डेट- 6 अक्टूबर
6 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया गया।
ड्यू डेट- 26 सितंबर
इस परिस्थिति में उसे इंट्रेस्ट पेमेंट करना होगा। A ने 1 सितंबर को 10 हजार का ट्रांजैक्शन किया था। 21 सितंबर को उसने केवल 5000 का पेमेंट किया। ऐसे में इस ट्रांजैक्शन पर उसे इंट्रेस्ट भरना होगा। 1 सितंबर से 21 सितंबर यानी 20 दिनों के लिए उसे 10 हजार के अमाउंट पर इंट्रेस्ट भरना होगा। 21 सितंबर को ट्रांजैक्शन किया गया। अब बकाया राशि 5000 रुपये है। ऐसे में अगली बिलिंग डेट यानी 22 सितंबर से 6 अक्टूबर, 15 दिन के लिए उसे बकाया 5000 रुपये पर इंट्रेस्ट भरना होगा। अब पुराना ट्रांजैक्शन आपकी नई बिलिंग साइकिल में इंट्रेस्ट के साथ शुरू होगी।
ड्यू डेट के बाद पार्शियल पेमेंट
कंडिशन -3 (अगर ड्यू डेट के बाद पार्शियल पेमेंट किया जाता है)
ट्रांजैक्शन डेट - 1 सितंबर
ट्रांजैक्शन अमाउंट- 10 हजार
ड्यू डेट- 26 सितंबर
पेमेंट डेट -28 सितंबर
पेमेंट मेड- 5000 रुपये
नेक्स्ट बिलिंग डेट- 6 अक्टूबर
6 सितंबर से 6 अक्टूबर के बीच कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया गया।
मतलब A ने 26 सितंबर जो ड्यू डेट है उस समय तक कोई अमाउंट जमा नहीं किया। उसने 28 सितंबर को 10 हजार में केवल 5000 पेमेंट किया। ऐसे में 1-28 के बीच यानी 28 दिनों के लिए उसे 10 हजार पर इंट्रेस्ट भरना होगा। नेक्स्ट बिलिंग डेट 6 अक्टूबर है। अगले 9 दिन (28 सितंबर से 6 अक्टूबर) के लिए उसे 5000 रुपये पर इंट्रेस्ट भरना होगा। इस परिस्थिति में उसे अलग से लेट फीस भी भरना होगा।