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पोषक तत्वो में आ रही है कमी
देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ पूरी आबादी का पेट भरने की चुनौती भी है. लंबे समय उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरक के बेतहाशा इस्तेमाल के कारण जमीन की उत्पादकता और खाद्यान्नों को गुणवत्ता में काफी कमी आयी है. पर इसके बावजूद खाद्यान्न की मांग में कमी नहीं आयी है. ऐसे दौर में देश के किसानों की आय दोगुनी करना केंद्र सरकार का लक्ष्य है. इसलिए अब देश नें नैचुरल फार्मिंग पर ध्यान दिया जा रहा है. क्योंकि खेती की यह ऐसी तकनीक है जिसमें खेती में कम लागत में ज्यादा का मुनाफा होता है. इसके अलावा नैचुरल फार्मिंग खाद्यान्न में मौजूद पोषक तत्वों में भी बढ़ोत्तरी होती है.
नैचुरल फार्मिंग के जरिए खेत से उपजने वाले फसल और सब्जियों में पोषक तत्व की मात्रा भी बढ़ती है. इसलिए देश के लोगों तक पौष्टिक भोजन पहुंचाने के लिए अब एक बार फिर से नैचुरल खेती पर जोर दिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने भी देश मे नैचुरल खेती को बढ़ावा देने के लिए एक मुहिम की शुरुआत की है. यह खेती की एक ऐसी तकनीक है जिसमें प्राकृतिक तौर पर उपलब्ध कृषि संसाधनों का ही इस्तेमाल खेती के लिए किया जाता है. इसकी उपज में किसी तरह के कोई हानिकारक तत्व नहीं होते हैं, साथ ही किसानों को इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं जबकि इसमें लागत काफी कम आती है.
रासायनिक उर्रवरक के इस्तेमाल से हुआ असर
बिरसा कृषि विश्विद्यालय के बीपीडी विभाग के सीइओ सिद्धार्थ जायसवाल ने बताया कि लंबे समय तक रासायनिक खेती करने के कारण उत्पादन और उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता में काफी कमी आयी है. हाल ही में एक शोध सामने आया था इसमें दिखाया गया था कि किस प्रकार फसल और सब्जियों को पौष्टिक तत्वों की धीरे धीरे कमी होती गयी. उदाहरण के लिए बात करें तो 1989 से लेकर 2017 तक प्रति 100 ग्राम गेंहू में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा -9.10 प्रतिशत घटी है जो बढ़कर 64,72 हो गया है. इसी प्रकार सेब की बात करें तो 1989 में प्रति 100 ग्राम सेब खाने से 45 फीसदी प्रोटीन मिलता था, पर 2017 में यह मात्रा घटकर मात्र 0.29 फीसदी हो गयी है. इसके अलावा सेब में मैग्निशियम और जिंक की भी कमी आयी है. मतलब साफ है कि जितनी मात्रा में हम सेब, सब्जी या अन्य फसल खा रहे हैं उतनी मात्रा में खाने से हमे लाभ नहीं मिल रहा है.
पौष्टिक तत्वों में आयी भारी कमी
वहींं अगर सब्जियों पर किए गये शोध की बात करें तो वर्ष 1914 में प्रति 100 ग्राम फूलगोभी में 248 मिलीग्राम कैल्शियम, 66 मिलीग्राम मैग्निशियम और 1.50 मिली ग्राम आय़रन होता था. जबकि 1992 में प्रति 100 ग्राम फूलगोभी में कैल्शियम की मात्रा घटकर 47 मिलीग्राम हो गयी. जबकि मैग्निशियम 15 मिलीग्राम और आयरन घटकर 0.59 मिलीग्राम हो गयी. पालक और सलाद पत्तों में का भी यही हाल है, इसमें भी पोषक तत्वों की मात्रा में काफी गिरावट दर्ज की गयी है.
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