प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में मीठी क्रांति (Sweet Revolution) का जिक्र किया. दरअसल, उन्होंने इससे जुड़ी बातें अनायास ही नहीं की. भारत ने विश्व के पांच सबसे बड़े शहद उत्पादक देशों में अपना स्थान बना लिया है. इसके उत्पादन से किसानों की आय बढ़ सकती है. इस बात को लोगों ने बखूबी समझा है. इसीलिए देश में शहद का उत्पादन 2005-06 की तुलना में 242 प्रतिशत तक बढ़ गया है. सालाना हम करीब सवा लाख टन शहद का उत्पादन (Honey Production) कर रहे हैं.
पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दार्जिलिंग में एक गांव है गुरदुम. पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहां के लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. पश्चिम बंगाल के ही सुंदरबन इलाकों का प्राकृतिक आर्गेनिक शहद तो देश दुनिया में पसंद किया जाता है. गुजरात का बनासकांठा भी शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है. हरियाणा के यमुना नगर में भी किसान मधुमक्खी पालन से सालाना कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं. इससे अपनी आय बढ़ा रहे हैं.
छत्ता बदलकर ज्यादा लिया जा सकता है लाभ
हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक मधुमक्खी पालन में इस्तेमाल किए जाने वाले पारंपरिक छत्ते में सुधार कर नया छत्ता विकसित किया गया है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी क्योंकि इससे उत्पादन बढ़ जाएगा. इससे एक साल में 35 से 40 किलो शहद प्राप्त किया जा सकता है. जबकि पारंपरिक छत्ते से 10 से 25 किलोग्राम तक शहद मिलता है.कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मात्र 30,000 रुपये में मधुमक्खी पालन का काम शुरू हो सकता है. इससे किसानों की अच्छी आय हो सकती है. इसीलिए पीएम मोदी ने 'मन की बात' में कहा, "भारत के कृषि जगत में आधुनिकता समय की मांग है. बहुत देर हो चुकी है. हम बहुत समय गवां चुके हैं. कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत कृषि के साथ ही नए विकल्पों को अपनाना भी उतना ही जरूरी है. मधुमक्खी पालन (Bee farming) भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है.