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जानिए मधुमक्खी पालन में कितना आगे है भारत

Apurva Srivastav
29 March 2021 9:59 AM GMT
जानिए मधुमक्खी पालन में कितना आगे है भारत
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में मीठी क्रांति (Sweet Revolution) का जिक्र किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में मीठी क्रांति (Sweet Revolution) का जिक्र किया. दरअसल, उन्होंने इससे जुड़ी बातें अनायास ही नहीं की. भारत ने विश्व के पांच सबसे बड़े शहद उत्पादक देशों में अपना स्थान बना लिया है. इसके उत्पादन से किसानों की आय बढ़ सकती है. इस बात को लोगों ने बखूबी समझा है. इसीलिए देश में शहद का उत्पादन 2005-06 की तुलना में 242 प्रतिशत तक बढ़ गया है. सालाना हम करीब सवा लाख टन शहद का उत्पादन (Honey Production) कर रहे हैं.

हम अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और कतर जैसे देशों में सालाना छह सौ करोड़ रुपये से अधिक का शहद एक्सपोर्ट कर रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के ज्यादा से ज्यादा किसान अपनी खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन से भी जुड़ें. ये किसानों की आय भी बढ़ाएगा और उनके जीवन में मिठास भी घोलेगा. फार्मा सेक्टर और फूड इंडस्ट्री में लगातार इसकी मांग बढ़ रही है.
कितना एक्सपोर्ट हुआ
राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board) की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 14,12,659 मधुमक्खी कॉलोनियों के साथ कुल 9,580 रजिस्टर्ड मधुमक्खी-पालक हैं. प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के मुताबिक 2019-20 में भारत ने 59,536.75 मिट्रिक टन प्राकृतिक शहद का एक्सपोर्ट किया गया. इसके बदले 633.82 करोड़ रुपये मिले. जबकि 2018-19 में 61,333.88 टन प्राकृतिक शहद का निर्यात किया गया. जिसके बदले 732.16 करोड़ रुपये मिले थे.

कृषि जगत में आधुनिकता जरूरी

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दार्जिलिंग में एक गांव है गुरदुम. पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहां के लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. पश्चिम बंगाल के ही सुंदरबन इलाकों का प्राकृतिक आर्गेनिक शहद तो देश दुनिया में पसंद किया जाता है. गुजरात का बनासकांठा भी शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है. हरियाणा के यमुना नगर में भी किसान मधुमक्खी पालन से सालाना कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं. इससे अपनी आय बढ़ा रहे हैं.

छत्ता बदलकर ज्यादा लिया जा सकता है लाभ

हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक मधुमक्खी पालन में इस्तेमाल किए जाने वाले पारंपरिक छत्ते में सुधार कर नया छत्ता विकसित किया गया है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी क्योंकि इससे उत्पादन बढ़ जाएगा. इससे एक साल में 35 से 40 किलो शहद प्राप्त किया जा सकता है. जबकि पारंपरिक छत्ते से 10 से 25 किलोग्राम तक शहद मिलता है.कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मात्र 30,000 रुपये में मधुमक्खी पालन का काम शुरू हो सकता है. इससे किसानों की अच्छी आय हो सकती है. इसीलिए पीएम मोदी ने 'मन की बात' में कहा, "भारत के कृषि जगत में आधुनिकता समय की मांग है. बहुत देर हो चुकी है. हम बहुत समय गवां चुके हैं. कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए परंपरागत कृषि के साथ ही नए विकल्पों को अपनाना भी उतना ही जरूरी है. मधुमक्खी पालन (Bee farming) भी ऐसा ही एक विकल्प बन करके उभर रहा है.

सफलता के उदाहरण
पश्चिम बंगाल (West Bengal) के दार्जिलिंग में एक गांव है गुरदुम. पहाड़ों की इतनी ऊँचाई, भौगोलिक दिक्कतें, लेकिन, यहां के लोगों ने मधुमक्खी पालन का काम शुरू किया. इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. पश्चिम बंगाल के ही सुंदरबन इलाकों का प्राकृतिक आर्गेनिक शहद तो देश दुनिया में पसंद किया जाता है. गुजरात का बनासकांठा भी शहद उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है. हरियाणा के यमुना नगर में भी किसान मधुमक्खी पालन से सालाना कई सौ-टन शहद पैदा कर रहे हैं. इससे अपनी आय बढ़ा रहे हैं.

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