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ग्रामीण भारत में वो शक्ति है, जो देश के आर्थिक विकास को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभा सकता है
ग्रामीण भारत में वो शक्ति है, जो देश के आर्थिक विकास को रफ्तार देने में अहम भूमिका निभा सकता है. ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए देश भर में विभिन्न तरह की पहल की गई है. ऐसी ही एक पहल है नाबार्ड ( नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट). पिछले 40 वर्षों से यह बैंक अपनी सेवा दे रहा है. इसने राज्य विपणन संघों को लगभग 50 हजार करोड़ वितरण कर रिकॉर्ड खरीद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. तो,आइए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट के बारे में कुछ और जान लेते हैं.
नाबार्ड देश का विकास बैंक है, जो ग्रामीण समृद्धि को बढ़ाने के लिए काम करता है. इसका मिशन सहभागी वित्तीय और गैर-वित्तीय माध्यम से कृषि और ग्रामिण विकास को बढ़ावा देना है. नबार्ड का मुख्य काम संचालन से संबंधित है.
क्या काम करता है नाबार्ड
यह ग्रामीण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करने में मदद करता है. यह कई लक्ष्यों को प्राप्त करने में बैंकिंग उद्योग को मार्गदर्शन और प्रेरित करने के लिए जिला स्तरीय ऋण योजना भी तैयार करता है. इसके अलावा, नाबार्ड सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का पर्यवेक्षण करता है.
रियायती दरों पर फसल ऋण
नाबार्ड ने पीएम कृषि सिंचाई योजना के तहत 'पर ड्रॉप – मोर क्रॉप ( प्रति बूंद-अधिक फसल) में भी योगदान दिया है. इस अभियान में केंद्र ने नाबार्ड के तहत सूक्ष्म सिंचाई कोष की समूह राशि को बढ़ाकर 10 हजार करोड़ रुपये कर दिया है. इसने सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के माध्यम से किसानों को रियायती दरों पर फसल ऋण भी उपलब्ध कराया है और 7 वर्षों में यह राशि 6.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है.
नाबार्ड वाणिज्यिक बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों, केंद्रीय सहकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंको और भूमि विकास बैंको को फाइनेंशियल सर्विसेज प्रदान करता है. यह वाणिज्यिक बैंकों को उधार देकर कृषि, लघु(छोटे) उद्योगों और अन्य गांव और कुटीर उद्योगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाता है.
नाबार्ड ने डिजाइन किया था किसान क्रेडिट कार्ड
अब नाबार्ड ने अपनी शाखाएं सभी जिला मुख्यालयों में खोल दी हैं, जिसके द्वारा यह जिला अधिकारियों के साथ जिला विकास कार्यक्रमों का निरीक्षण और विकास से जुड़े हुए फैसलों का कार्य भी कर रहा है. यह प्राकृतिक आपदाओं (जैसे कि सूखा पड़ जाना, फसल का खराब हो जाना और बाढ़ आदि) के आने पर वाणिज्यिक बैंकों और सहकारी बैंकों को फाइनेंसियल लाभ पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है.
बता दें कि किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) नाबार्ड के द्वारा ही डिजाइन किया गया है. इसकी मदद से आज के समय में किसानों को आसानी से खेती के लिए कर्ज मिलता है.
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