x
देश के किसान खेतो की आसान बनाने के लिए नई तरकीब का इस्तेमाल कर रहे हैं. केरल के किसान केसी प्रभाकरण ने भी ऐसा ही किया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कृषि को आसान बनाने के लिए तकनीक (Agriculture Technique) का इस्तेमाल करना एक बेहतरीन तरीका है.कृषि को आसान बनाने के लिए और खेती में समय बचाने के लिए देश के वैज्ञानिकों के साथ किसान भी लगे हुए हैं. इसके साथ ही नई मशीने भी बना रहे हैं. कई किसान तो ऐसे हैं जिन्होंने खुद की जुगाड़ तकनीक से मशीनों का भी अविष्कार कर दिया है, जो उनके लिए बेहद सहायक साबित हो रही है. केरल के केसी प्रभाकरण भी एक ऐसी ही किसान हैं जिन्होंने अपने देसी जुगाड़ के जरिए खेत में पौधा रोपाई करने की मशीन बनाई है. इसके जरिए वो आसानी से काम कर रहे हैं.
केसी प्रभाकरण इससे पहले भी अपनी जुगाड़ तकनीक से कारनामा कर चुके हैं. उन्होंने डेढ़ साल पहले एक पोर्टेबल थ्रेसिंग मशीन बनाया था. इसका वजन दस किलोग्राम था और बैटरी से संचालित था. अपने इस अविष्कार के जरिए उन्होंने सबको चौंका दिया था. इस बार उन्होंने जो रोपाई मशीन बनाई है उसके लिए उन्होंने घर की बेकर पड़ी वस्तुओं का इस्तेमाल किया है. इसके लिए उन्होंने जीआई पाईप, कनेक्टर, एल्मुनियम प्लेट, स्टील पाइप, स्प्रिंग और अन्य उकरणो का इस्तेमाल किया है.
कृषि कार्य करने में होगी आसानी
केरल के किसान केसी प्रभाकरण द्वारा विकसित की गई रोपाई मशीन किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है क्योंकि इसके जरिए ना सिर्फ कृषि कार्य आसान होगा, बल्कि समय की भी बचत होगी और लागत भी कम लगेगी. इसके साथ ही पौधों के उचित दूरी पर लगाना भी इससे आसान होगा. इससे पैदावार भी अच्छी होगी और कमाई भी बढ़ेगी. मातृभूमि की खबर के मुताबिक रोपाई मशीने के जरिए केवल एक व्यक्ति की बड़े क्षेत्रफल में आसानी से रोपाई कर पाने में सक्षम होगा, इससे मजदूरी का खर्चा बचेगा.
रोपाई करने में होती है समय की बचत
मशीन के जरिए रोपाई के लिए 14 से 20 दिन के बीच तैयार किए गए अंकुरित बीजों का इस्तेमाल किया जाता है. रोपाई के लिए इन छोटे पौधों को 8X21 इंच के चौड़े बोर्ड पर रखा जाता है. इसके बाद इसे खेत पर लाया जाता है और फिर मशीन में लगे लीवर की मदद से पौधों की रोपाई की जाती है. केसी प्रभाकरण बताते हैं कि इस मशीन के जरिए आठ सेंट जमीन में पौधों की रोपाई करने के लिए 20 मिनट का समय लगता है. इसके लिए खेत में पानी की मात्रा अच्छी होनी चाहिए. खेत में पर्याप्त मात्रा में पानी रहने पर यह मशीन बेहतर परफार्म करती है.
आस-पास के किसानों की करते हैं मदद
प्रभाकरण के अलावा देश के और भी किसान हैं जो जुगाड़ तकनीक के लिए खुद से कृषि के उपकरण अविष्कार करते हैं और इस्तेमाल करते हैं. इतना ही वो अपने आस-पास के किसानों को भी अपनी तकनीक से मदद करते हैं. केसी प्रभाकरण ने भी ऐसा ही कर रहे हैं. केसी प्रभाकरण अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं. उनकी पत्नी बैंक कर्मी है.
Next Story