![डीआरआई की चेतावनी पर भी चुप बैठा रहा : याची डीआरआई की चेतावनी पर भी चुप बैठा रहा : याची](https://jantaserishta.com/h-upload/2023/09/11/3405719-adan.webp)
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व्यापार: अडाणी समूह के शेयरों की कथित हेराफेरी मामले में एक याची ने बाजार नियामक सेबी पर आरोप लगाया है कि वह उच्चतम न्यायालय से कुछ महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाकर रखने के अलावा राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) के पत्र पर भी चुप बैठा रहा। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में कथित हेराफेरी की जांच की मांग करने वाली कई जनहित याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दायर की गई थीं। इसके बाद ही भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को नियामकीय शर्तों के अनुपालन की जांच करने को कहा गया था। सेबी ने अपनी जांच की स्थिति रिपोर्ट पिछले महीने पेश करते हुए कहा कि जांच में शामिल 24 में से 22 मामलों में वह नतीजे तक पहुंच चुकी है।
लेकिन दो मामलों में विदेशी कोषों के स्वामित्व संबंधी जानकारी नहीं मिल पाने के कारण अभी तक वह जांच पूरी नहीं कर पाई है। इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वालीं एक याची अनामिका जायसवाल ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर सेबी की गतिविधियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि डीआरआई ने वर्ष 2014 में ही सेबी के तत्कालीन प्रमुख को पत्र लिखकर शेयरों के भाव में हेराफेरी की आशंका जताई थी। इसके लिए आयातित बिजली उपकरणों के दाम बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और उस पैसे का इ्स्तेमाल विदेशी निवेशकों के जरिये शेयरों के भाव चढ़ाने में करने के आरोप लगाए गए थे।
जायसवाल ने हलफनामे में कहा है कि डीआरआई के इस पत्र के साथ एक सीडी भी संलग्न थी जिसमें 2,323 करोड़ रुपये की हेराफेरी से संबंधित साक्ष्य दिए गए थे। इसके अलावा डीआरआई ने कहा था कि बाजार नियामक उसके मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय से अतिरिक्त जानकारियां भी जुटा सकता है। याची ने हलफनामे में कहा है कि, सेबी ने न केवल इस न्यायालय से महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाकर रखा और डीआरआई की चेतावनियों को नजरअंदाज किया बल्कि सेबी का अडाणी मामले की जांच करना हितों का टकराव भी है। इसके साथ ही जायसवाल ने कहा है कि सेबी की अडाणी समूह से संबंधित 24 मामलों में से पांच मामलों की जांच रिपोर्ट भेदिया कारोबार से संबंधित हैं।
उन्होंने खोजी रिपोर्टिंग करने वाले संगठन ओसीसीआरपी की अडाणी समूह पर हाल ही में आई रिपोर्ट में उल्लिखित दस्तावेजों का जिक्र करते हुए कहा है कि मॉरीशस में स्थित इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड और ईएम रिसर्जेंट फंड ने वर्ष 2013 से 2018 के दौरान अडाणी समूह की चार कंपनियों के शेयरों में बड़े पैमाने पर निवेश किया था। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग और ओसीसीआरपी दोनों की रिपोर्ट में खुद पर लगाए गए सभी आरोपों को नकारते हुए कहा है कि वह सभी नियामकीय प्रावधानों का पालन करता है।
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Manish Sahu
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