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Kadaknath Rooster Farming : बेकार पड़ी जमीन पर करिए कड़कनाथ मुर्गे का पालन, सरकार से मिलेगी मदद और कमाई होगी बहुत

Rani Sahu
22 Jun 2021 1:19 PM GMT
Kadaknath Rooster Farming : बेकार पड़ी जमीन पर करिए कड़कनाथ मुर्गे का पालन, सरकार से मिलेगी मदद और कमाई होगी बहुत
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बेकार पड़ी जमीन पर करिए कड़कनाथ मुर्गे का पालन,

केरल के एर्नाकुलम जिले में घर के पीछे (बैकयार्ड) बेकार पड़ी जमीन में कड़कनाथ मुर्गा पालन का चलन तेजी से बढ़ रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और लोगों की दिलचस्पी के कारण यह कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ते जा रहा है. दरअसल, स्वदेशी मुर्गे कड़कनाथ मुर्गे के प्रचार व संरक्षण के लिए भारत सरकार एक कार्यक्रम चला रही है. इसी कार्यक्रम के तहत अब तक एर्नाकुलम में कुल 6000 बैकयार्ड इकाइयां स्थापित की जा चुकी हैं.

कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), एर्नाकुलम 2012 से अखबारों, पत्र-पत्रिकाओं और दूरदर्शन के माध्यम से कड़कनाथ के वैज्ञानिक पालन की तकनीक को लोगें तक पहुंचा रहा है. यह केवीके मुंबई स्थित केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन से एक दिन के चूजे लेता है और उन्हें 60 दिनों तक पालता पोसता है. इस दौरान मुर्गों को जरूरी टीके भी लगाए जाते हैं. किसानों तक इन चूजों को पहुंचाने के लिए बिक्री मेलों का सहारा लिया जाता है.
केवीके वैज्ञानिक करते हैं मदद
इन मेलों में केवीके के वैज्ञानिक किसानों को कड़कनाथ के आर्थिक फायदों के बारे में जानकारी देते हैं और उन्हें चूजे उपलब्ध कराते हैं. 2013 से 2019 के दौरान इसी तरह के 8 बिक्री मेलों में किसानों को कड़कनाथ चूजे दिए गए. इस दौरान 600 से अधिक किसानों ने चूजे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई और कुल 5560 शुद्ध कड़कनाथ चूजों की आपूर्ति किसानों को की गई.
इसी में से एक किसान के साथ मिलकर केवीके वैज्ञानिकों ने कड़कनाथ मुर्गा पालन के तौर तरीकों को समझाने के लिए काम शुरू कर दिया. एक सेटअप लगाकर शुद्ध देसी कड़कनाथ का पालन होने लगा और आज के समय में उस किसान को प्रति महीने 16 हजार रुपए से अधिक की आय हो रही है. यहां से प्रेरणा लेकर अन्य किसान भी कड़कनाथ मुर्गा पालन की तरफ आकर्षित हो रहे हैं.
सेहत के लिए काफी बेहतर होता है कड़कनाथ का मांस
केवीके सिर्फ कड़कनाथ पालन में ही किसानों की मदद नहीं कर रहा है बल्कि उनके उत्पादों को उचित दाम मिले इसके लिए भी काम किया जा रहा है. कड़कनाथ के अंडे और मांस की लोकप्रियता व मांग को बढ़ाने के लिए केवीके अपने केंद्रों पर इनकी बिक्री कर रहा है. इससे किसानों को मदद भी मिल रही है और आय भी बढ़ रहा है.
कड़कनाथ देसी किस्म का मुर्गा है. यह मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों, खासकर झाबुआ और धार जिले में अधिक पाया जाता है. काले रंग की वजह से इसकी एक खास पहचान है. कड़कनाथ मुर्गे का मांस और खूब भी काला ही होता है. सेहत के लिए इसका मांस काफी बेहतर माना जाता है.


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