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संसदीय पैनल के समक्ष Jio की हुई पेशी, Facebook और Google के साथ Jio यूजर्स के डेटा शेयरिंग पर हुई पूछताछ

Tara Tandi
4 Nov 2020 2:23 PM GMT
संसदीय पैनल के समक्ष Jio की हुई पेशी, Facebook और Google के साथ Jio यूजर्स के डेटा शेयरिंग पर हुई पूछताछ
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टेलिकॉम कंपनी Jio के प्रतिनिधि बुधवार को संसदीय पैनल के समक्ष पेश हुए, जहां उनसे Jio यूजर्स के डेटा को Jio की इन्वेस्टर्स कंपनी Facebook और Google के साथ शेयर करने को लेकर पूछताछ हुई।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नई दिल्ली, पीटीआइ. टेलिकॉम कंपनी Jio के प्रतिनिधि बुधवार को संसदीय पैनल के समक्ष पेश हुए, जहां उनसे Jio यूजर्स के डेटा को Jio की इन्वेस्टर्स कंपनी Facebook और Google के साथ शेयर करने को लेकर पूछताछ हुई। Jio Platforms Ltd और Reliance Jio Infocomm के एक्जीक्यूटिव Jio की तरफ से संसदीय पैनल के समक्ष पेश हुए थे। इस दौरान पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर संसद की संयुक्त समिति की अध्यक्षा मीनाक्षी लेखी की तरफ से Jio प्रतिनिधि से पूछ गया कि क्या आपकी कंपनी ने Google और Facebook के साथ किसी तरह का डेटा शेयरिंग मैकेनिज्म विकसित कर रखा है, जिससे Jio यूजर्स और सब्सक्राइबर्स की डेटा प्राइवेसी खतरे में आ सकती है।

डेटा शेयरिंग के आरोपों को Jio ने नकारा

Jio प्रतिनिधि की तरफ से इस तरह के किसी भी डेटा शेयरिंग मैकेनिज्म होने के आरोप को नकार दिया गया। Jio प्रतिनिधि ने कहा कि कंपनी Facebook और Google जैसी टेक कंपनियां Jio के केवल फाइनेंशियल इन्वेस्टर्स हैं। मीनाक्षी लेखी की तरफ से मीटिंग के बाद कहा गया कि Jio प्रतिनिधि डेटा प्रोटेक्शन और उसके भारत में लोकलाइजेशन के पक्ष में है। बता दें कि Jio से पहले Google, Facebook, Twitter, Amazon और Paytm के प्रतिनिधि पहले ही यूजर्स डेटा सिक्योरिटी और प्राइवेसी को लेकर संसदीय पैनल के समक्ष पेश हो चुके हैं, जबकि Ola, Uber और Airtel को भी संसदीय पैनल के समक्ष पेश होने के लिए बुलाया गया है। इन कंपनियों को अभी संसदीय पैनल के समक्ष पेश होना है।

11 दिसंबर 2019 को पेश हुआ था डेटा प्रोटेक्शन बिल

पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रवि शंकर प्रसाद की तरफ से 11 दिसंबर 2019 में पेश किया गया था। यह बिल को व्यक्तिगत पर्सनल डेटा प्रोटेक्शनऔर इसी तरह अन्य संस्थान और अथॉरिटी के डाटा प्रोटेक्शन के लिए बनाया गया था। यह कानून किसी व्यक्ति की बिना सहमति के संस्थाओं की ओर से व्यक्तिगत डेटा के स्टोरेज और उसके शेयरिंग पर रोक लगाता है। इस बिल को बाद में संसद के दोनों सदनों की संयुक्त चयन समिति के समक्ष भेज दिया गया था।

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