
भारत में 1 अगस्त को शुरू हुई पहली 5G ऑक्शन खत्म हो गई है. नीलामी से 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाए गए हैं. जैसी कि उम्मीद थी नीलामी में सबसे अधिक बोली रिलायंस जियो ने लगाई. कंपनी ने सबसे ज्यादा 88,078 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. इसके बाद एयरटेल, VI (वोडाफोन आइडिया), और अडानी एंटरप्राइजेज ने सबसे अधिक बोली लगाई. इस दौरान 700 मेगाहर्ट्ज बैंड, जो एक सब-गीगाहर्ट्ज बैंड है, नीलामी का सबसे हॉट टॉपिक रहा.
नीलामी में रिलायंस जियो ने इस सब-गीगाहर्ट्ज बैंड को सबसे अधिक बोली लगाकर हासिल कर लिया है और यह भारती एयरटेल और VI जैसी अन्य दूरसंचार कंपनियों के लिए अच्छी खबर नहीं है. कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि भारती एयरटेल जैसी अन्य दूरसंचार कंपनियों को इस सब-गीगाहर्ट्ज (700 मेगाहर्ट्ज) बैंड का अधिग्रहण नहीं करने के कारण 2 से 3 प्रतिशत मार्केट शेयर का नुकसान हो सकता है.
सिर्फ जियो के पास है 700 मेगाहर्ट्ज बैंड
700 मेगाहर्ट्ज बैंड एक सब-गीगाहर्ट्ज बैंड (मूल रूप से 1GHz के तहत) है, जिसे रिलायंस जियो ने सी-बैंड के साथ हासिल किया है. देश में केवल Jio के पास ही अपनी 5G कनेक्टिविटी के लिए 700MHz बैंड है. फिलहाल यह किसी अन्य टेलीकॉम के पास नहीं है.यह सब-गीगाहर्ट्ज़ बैंड में 5G के क्षेत्र में रिलायंस की मोनोपॉली स्थापित करेगा.
अन्य टेलीकॉम को करना होगा ज्यादा भुगतान
अब अगर अन्य टेलीकॉम अगली नीलामी में इसके लिए बोली लगाने की योजना बना रहें हैं, तो उन्हें बहुत अधिक भुगतान करना पड़ सकता है. फिलहाल अन्य दूरसंचार ऑपरेटरों के पास 800 मेगाहर्ट्ज और 900 मेगाहर्ट्ज में सब-गीगाहर्ट्ज बैंड भी हैं, लेकिन ये 4 जी और 2 जी कनेक्टिविटी के लिए विकसित किए गए हैं.
यूजर्स और कंपनी दोनों के लिए फायदेमंद
अब, अगर हम लंबे समय में लाभों पर विचार करते हैं, तो एक GHz बैंड की तुलना में एक सब-गीगाहर्ट्ज बैंड को कंपनी के लिए अधिक लाभदायक कहा जाता है. बता दें कि एक गीगाहर्ट्ज बैंड तेज इंटरनेट प्रदान करता है, लेकिन इसका कवरेज कम होता है. वहीं एक सब-गीगाहर्ट्ज बैंड बेहतर कवरेज प्रदान करेगा लेकिन इसकी गति बहुत तेज नहीं होगी. ऐसे में यह एक तरह से कंपनी और यूजर्स दोनों के लिए फायदेमंद है.