रिलायंस जियो (Reliance Jio) की 5G सर्विस पूरी तरह से तैयार है। जियो की तरफ से 5G स्पेक्ट्रम नीलामी के दौरान सबसे ज्यादा पैसाद खर्च किया गया गया है। जियो ने 700 मेगाहर्टज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदे हैं, जिसमें एक ही टावर से छह से 10 किमी तक सिग्नल पहुंच सकता है, जिससे नजदीक टावर लगाने के खर्च में कटौती होगी। शायद यही वजह है, जिससे जियो की तरफ से देश में सबसे सस्ती कीमत पर 5G सर्विस उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है। साथ ही जियो का दावा है कि उसकी 5G सर्विस की स्पीड 4जी के मुकाबले 10 गुना फास्ट होगी। साथ ही बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। बता दें कि कंपनी ने 800 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्टज 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में भी स्पेक्ट्रम खरीदे हैं।
एयरटेल ने कहा 20 साल तक नहीं होगी 5G स्पेक्ट्रम खरीदने की जरूरत
एयरटेल ने कहा कि अगले 20 वर्षों के लिए 5जी स्पेक्ट्रम की खरीद की जरूरत नहीं होगी। कंपनी की मानें, तो अगले कई वर्षों तक उसे स्पेक्ट्रम पर निवेश करने की जरूरत नहीं है। देश में 5जी सेवा की तकनीक का सबसे पहले अधिग्रहण एयरटेल ने ही किया है। कंपनी ने कहा है कि वह देश के हर कोने में 5जी सेवा देगी। कंपनी के एमडी व सीईओ गोपाल विट्टल ने सस्ती दर पर 5जी स्पेक्ट्रम मिलने पर खास तौर पर खुशी जाहिर की है और कहा है कि अब कंपनी अन्य तकनीकों पर ज्यादा निवेश कर सकेगी।
कुछ अहम बातें
अदाणी समूह ने 26 गीगाहट्र्ज बैंड में स्पेक्ट्रम खरीदा है, जिसे प्राइवेट नेटवर्क के लिए उपयुक्त माना जाता है। समूह ने गुजरात, मुंबई, कर्नाटक, तमिलनाडु, राजस्थान और आंध्र प्रदेश में स्पेक्ट्रम खरीदा है।
पहली बार 600 मेगाहर्ट्ज बैंड में भी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए रखे गए थे, लेकिन किसी कंपनी ने इनमें रुचि नहीं दिखाई।
3300 मेगाहट्ज,26 गीगाहर्टज 5जी बैंड हैं। दो तिहाई बोली इन्हीं में लगी। एयरटेल व वोडाफोन आइडिया ने 1800 मेगाहर्टज और 900 मेगाहर्टज बैंड में अपनी स्थिति मजबूत की।
2016 व 2021 की बोली में 700 मेगाहर्टज बैंड में स्पेक्ट्रम नहीं बिके थे। इस बार 22 सर्किल में 40 स्पेक्ट्रम जियो ने खरीदे।