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iRAD झारखंड में सड़क हादसों की जानकारी इकट्ठा कर रहा है
iRAD झारखंड में सड़क हादसों की जानकारी इकट्ठा कर रहा है. जिसमें झारखंड में सड़क हादसों की जानकारी होगी इनको जमाकर iRAD रिसर्च के लिए डाटा तैयार कर रहा है. इन आंकड़ों के माध्यम से सड़क हादसों की वैज्ञानिक जांच होगी और इस अंकुश लगाने के उपाय किए जाएंगे.
सड़क हादसों और मृतकों की संख्या पर अंकुश लगाने के लिए झारखंड के 9 जिलों में Intigrated Road Accident Database (iRAD) तैयार किया जाने लगा है. इस पहल से राज्य में होने वाले सड़क हादसों के आंकड़े एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध होंगे. जो आंकड़े उपलब्ध होंगे उसका वैज्ञानिक जांच कर हादसों को रोकने के लिए ठोस उपाय लागू किए जाएंगे.
झारखंड के 9 जिलों में हुई शुरूआत
1 जनवरी 2022 से झारखंड के रांची, धनबाद, साहिबगंज, रामगढ़, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, हजारीबाग और पाकुड़ जिला में आईआरएडी तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है. डेटाबेस तैयार होने के बाद हाईवे या फिर किसी सड़क के किस स्पॉट पर कितने हादसे हुए, कितने की मौतें हुईं, कितने घायल हुए और हादसे की वजह क्या रही. इन सभी तथ्यों की जानकारी एक क्लिक पर मिल जाएगी.सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस लागू की थी. डाटा तैयार करने के लिए एक विशेष फॉर्मेट भी बनाया गया है. सभी थानों में यह फॉर्मेट उपलब्ध करवाया गया है. इसके तहत दुर्घटना स्थल पर पुलिस फार्मेट में विवरण दर्ज करेगी. जिसमें घटना के प्रभावित व्यक्ति का नाम, उम्र, पता, लाइसेंस संख्या, स्थान, दुर्घटना का संभावित कारण एवं तीव्रता, फोटो, वीडियो तमाम चीजें ऐप में अपलोड की जाएंगी. जिन-जिन जिलों में आईआरएडी के तहत डाटा बनाया जा रहा है, उन सभी की मॉनिटरिंग सिस्टम संबंधित जिलों के डीटीओ के पास है.
iRAD में जो आंकड़े जमा होंगे, उसका विश्लेषण देश के वैज्ञानिक करेंगे. विश्लेषण के बाद यह पता चल पाएगा कि जो सड़क हादसे हुए हैं उसके पीछे की वजहे क्या हैं. मसलन हादसों की वजह चालक की गलती, सड़क की बनावट या मौसम तो नहीं है. आईआरएडी के आंकड़े ऑटोमेटिक ही परिवहन, पीडब्ल्यूडी राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बड़े स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचेंगे. यहां मौजूद जांच टीम भी इस रिपोर्ट का अध्ययन करेगी. राजधानी रांची में सड़क सेफ्टी के लिए काम कर रही संस्था राइज अप के संचालक ऋषभ आनंद के अनुसार भारत के राजस्थान और तमिलनाडु जैसे राज्य में आईआरएडी का उम्दा इस्तेमाल किया गया है. इसकी वजह से वहां सड़क हादसों में बहुत कमी आई है. अगर झारखंड में भी आंकड़ों का सही विश्लेषण किया जाए तो सड़क हादसों पर काफी हद तक ब्रेक लग सकता है.
आंकड़ों के अनुसार झारखंड में सड़क हादसों में हर साल 4,000 से अधिक लोग अपनी जान गंवा देते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में झारखंड में 5702 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिनमें 4279 लोगों की मौत हो गयी. हादसों में 4000 लोग घायल भी हुए हैं. झारखंड के 24 जिलों के आंकड़े बताते हैं कि मृतकों में सबसे अधिक राजधानी के रहने वाले लोग हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में हर साल सड़क हादसों में 3071 पुरुष और 748 महिलाओं की मौत हो जाती है, जबकि 500 के तकरीबन लोग अपना कोई ना कोई अंग गंवा बैठते हैं.
अब तक के विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि झारखंड में हादसे की वजह सिर्फ जर्जर सड़कें ही नहीं है. कई ऐसी अनदेखी जगह भी है जहां हर कदम पर आपका सामना मौत से हो सकता है. पिछले 2 वर्षों में राज्य सरकार ने राज्य में बेहद खतरनाक 142 जगहों की पहचान की है, जहां सर्वाधिक मौत हादसों में होती है. आईआरएडी में जो डाटा फिट हो रहा है वह भी इसी तरफ इंगित कर रहा है. जिसके बाद झारखंड में ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ परिवहन विभाग ऐसे जगहों की पहचान कर रोड इंजीनियरिंग और उसके मूल डिजाइन में परिवर्तन के लिए संबंधित एजेंसियों को कार्रवाई के लिए निर्देशित कर रही है.
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