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भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजकर उन सामग्री (कंटेंट) को हटाने का आदेश दिया है
भारत सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजकर उन सामग्री (कंटेंट) को हटाने का आदेश दिया हैजो COVID-19 वायरस के "इंडियन वेरिएंट" को डिफाइन करती हैं, ये जानकारी रॉयटर्स से मिली है. शुक्रवार को भेजे गए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (आईटी मिनिस्ट्री) के लेटर को पब्लिक नहीं किया गया था, लेकिन कई न्यूज आउटलेट द्वारा इसे देखा गया था.
हालांकि यह क्लियर नहीं था कि किस सोशल मीडिया आउटलेट को लेटर मिला है लेकिन भारत सरकार ने हाल ही में ट्विटर को ट्वीट्स को हटाने का आदेश दिया है और फेसबुक और इंस्टाग्राम को उन पोस्ट को हटाने का आदेश दिया है जो कोरोना वायरस महामारी से निपटने में मुश्किल पैदा कर रहे थे. लेटर में कहा गया है, "इंडियन वेरिएंट शब्द पूरी तरह से गलत है, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा वैज्ञानिक रूप से उद्धृत COVID-19 का ऐसा कोई प्रकार नहीं है. डब्ल्यूएचओ ने अपनी किसी भी रिपोर्ट में 'इंडियन वेरिएंट' शब्द को कोरोना वायरस के B.1.617 वेरिएंट के साथ नहीं जोड़ा है."
B.1.617 दूसरे वेरिएंट के मुकाबले अधिक खतरनाक
बता दें पिछले साल भारत में पहली बार पाए गए कोरोनावायरस के एक प्रकार, B.1.617 को दक्षिण एशिया में COVID-19 मामलों की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे वैश्विक चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत किया है, कुछ सबूतों के साथ कि यह वायरस के दूसरे वेरिएंट की तुलना में अधिक संक्रामक है.
भारत में कोरोना वायरस और वेरिएंट के बारे में जानकारी को सेंसर करने का काम जोरों पर है, डब्ल्यूएचओ और दूसरे हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और ज्योग्राफिक नामों के साथ वायरस और वेरिएंट का उल्लेख करने की प्रैक्टिस के लिए जरूरी हैं, क्योंकि यह गलत हो सकता है. WHO के 2015 नियमों के मुताबिक संक्रामक रोगों के नामकरण के लिए किसी जगह का नाम, इंसान का नाम या जानवरों की प्रजातियों के नामों का उपयोग उनको हतोत्साहित करता है.
हालांकि, जैसा कि नेशनल ज्योग्राफिक अपने एक्सप्लेनर में बताता है कि वायरस के प्रकारों को उनके नाम कैसे मिलते हैं, वर्तमान नामकरण के तरीके बोझिल और भ्रमित करने वाले हैं, जिससे गैर-वैज्ञानिकों के लिए इसे समझना या याद रखना मुश्किल हो जाता है. नेशनल ज्योग्राफिक की रिपोर्ट है कि WHO वायरस के नामकरण का एक नया तरीका बनाने के लिए वायरोलॉजिस्ट के साथ काम कर रहा है.
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