ISMA ने चीनी मिलों को जैव-रिफाइनरियों में बदलने की योजना पेश की
Biorefineries: बायो-रिफाइनरी चीनी उद्योग निकाय ISMA ने गुरुवार को कहा कि उसने सरकार के समक्ष चीनी मिलों को जैव-रिफाइनरियों में बदलने की योजना पेश की है, जिसका उद्देश्य स्थायी विमानन ईंधन और अन्य हरित ऊर्जा स्रोतों के उत्पादन को बढ़ावा देना है।एक बयान में कहा गया है कि भारतीय चीनी और जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) के प्रतिनिधियों ने खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी से मुलाकात की और इस बदलाव के लिए नीतिगत रूपरेखा पर चर्चा की, जो मौजूदा इथेनॉल, बायोइलेक्ट्रिसिटी और बायोगैस उत्पादन से आगे बढ़ेगा। ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा कि यह पहल भारत को CORSIA जनादेश के तहत 2027 में प्रभावी होने वाले अंतरराष्ट्रीय विमानन सम्मिश्रण Blending लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगी, साथ ही देश के शुद्ध-शून्य और आत्मनिर्भरता लक्ष्यों का समर्थन करेगी। बल्लानी ने बयान में कहा, "हम एक ऐसा भविष्य देखते हैं, जहां स्थानीय संसाधन राष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाते हैं।" उन्होंने कहा कि "यह आत्मनिर्भर भारत के लिए सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।" इस योजना का उद्देश्य भारत के अनुमानित 55 मिलियन गन्ना किसानों के लिए वैकल्पिक बाजार बनाना है, जो किसानों की आय बढ़ाने में मौजूदा इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम की सफलता पर आधारित है। सरकार ने पिछले साल 400 ई-100 ईंधन पंप शुरू किए थे। जोशी ने ई-100 के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया, खास तौर पर वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन में भारत के नेतृत्व को देखते हुए। आईएसएमए ने जैव-रिफाइनरी योजना के तेजी से क्रियान्वयन Implementation पर सरकार के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया, जिससे इस क्षेत्र में नए मानक स्थापित होने और भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होने की उम्मीद है।