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क्या NSC को KVP से बेहतर माना जाता है? जानिए रिटर्न और टैक्स छूट में दोनों का अंतर

Renuka Sahu
25 Oct 2021 3:23 AM GMT
क्या NSC को KVP से बेहतर माना जाता है? जानिए रिटर्न और टैक्स छूट में दोनों का अंतर
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फाइल फोटो 

किसान विकास पत्र और नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट दोनों भारत सरकार की योजनाएं हैं जिन्हें पोस्ट ऑफिस में भी ले सकते हैं.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। किसान विकास पत्र (KVP) और नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) दोनों भारत सरकार की योजनाएं हैं जिन्हें पोस्ट ऑफिस में भी ले सकते हैं. हो सकता है आपको उलझन हो कि दोनों में कौन सी स्कीम लेनी चाहिए और दोनों में क्या बेहतर है. लेख के शुरू में ही जान लें कि NSC निवेश, रिटर्न के साथ टैक्स बचाने का भी जरिया देता है. इसके विपरीत किसान विकास पत्र या KVP रिटर्न तो देता है, लेकिन उस पर आप टैक्स नहीं बचा सकते. लिहाजा, जिन जमाकर्ताओं को टैक्स बचाने की जरूरत है, उनके लिए केवीपी से ज्यादा बेहतर एनएससी है. लेकिन रिटर्न के हिसाब से देखें तो KVP ब्याज के मामले में थोड़ा सा एनएससी से ज्यादा है.

अब आइए दोनों बीच बड़ा-बड़ा अंतर देख लेते हैं. सबसे पहले बात NSC की. इस स्कीम में जमाकर्ता को एक गारंटीड रिटर्न मिलता है जो अभी 6.8 फीसदी सालाना है. एनएससी स्कीम में अभी 6.8 फीसदी ब्याज मिल रहा है. दोनों योजनाओं के लिए सरकार ब्याज दरों का ऐलान करती है. ब्याज दर में बदलाव हो तो रिटर्न में भी बदलाव होता है. एनएससी को 5 साल के लिए चलाना होता है और इस दौरान जमाकर्ता वापस अपनी पूंजी नहीं निकाल सकता. मैच्योरिटी पर मूलधन के साथ ब्याज जोड़कर दिया जाता है. इस स्कीम में महज 100 रुपये से भी बचत शुरू कर सकते हैं. आप डाकघरों में भी एनएससी स्कीम (NSC scheme) शुरू कर सकते हैं.
दोनों में मिलता है बेहतर रिटर्न
एनएससी की तरह KVP भी सरकार द्वारा समर्थित जमा योजना है जिस पर ब्याज दर जुड़ कर मिलती है. केवीपी में रुपये के हिसाब से सरकार पत्र जारी करती है. यह पत्र पोस्ट ऑफिस से ले सकते हैं. पत्र जारी करते वक्त जो ब्याज दर फिक्स होती है, वह बदल भी सकती है, लेकिन गारंटीड रिटर्न जरूर मिलता है. ग्राहक चाहे तो 30 महीने बाद उस पत्र को ब्याज के साथ भुना सकता है. अभी केवीपी पर ब्याज की दर 6.9 फीसदी है. केवीपी को कोई नाबालिग भी ले सकता है. एनएससी के तरह इसे भी किसी और को नियम के तहत ट्रांसफर कर सकते हैं. एनएससी से बड़ा अंतर यही है कि केवीपी की मैच्योरिटी पर टैक्स छूट का लाभ नहीं ले सकते.
दोनों के बीच बड़ा अंतर
NSC में 100 रुपये से भी खाता खोल सकते हैं, लेकिन केवीपी में न्यूनतम जमा राशि 1000 रुपये है. अगर आप आज एनएससी में निवेश करते हैं, जब ब्याज दरें 6.8 फीसदी हैं. हालांकि KVP का उद्देश्य मैच्योरिटी पीरियड के अंत में निवेश राशि को दोगुना करना है, जो एनएससी के मामले में नहीं है. केवीपी में एनएससी से ज्यादा दिनों तक निवेश करना होता है. NSC में जमा पैसे को समय से पहले नहीं निकाल सकते. इसे मैच्योरिटी पर ही निकाल सकते हैं, जबकि केवीपी में 30 महीने बाद पैसे निकालने की अनुमति है.
NSC में जमाकर्ता निवेश के पैसे पर टैक्स कटौती का दावा कर सकता है. जमाकर्ता 1,50,000 रुपये तक की कटौती का दावा कर सकता है. धारा 80C के तहत यह क्लेम किया जा सकता है. हालांकि, केवीपी के मामले में टैक्स कटौती का दावा नहीं किया जा सकता है. एनएससी और केवीपी प्रमाणपत्र दोनों लोन ले सकते हैं. जमा पूंजी पर ही लोन देने की सुविधा मिल जाती है.


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