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IRRI ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय के साथ किया समझौता

Gulabi Jagat
12 July 2022 4:04 PM GMT
IRRI  ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय के साथ किया समझौता
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अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्रालय के साथ एक समझौता किया. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में कृषि सचिव मनोज अहूजा तथा इरी की ओर से महानिदेशक डॉ. जीन बेली ने इस एमओयू पर नई दिल्ली स्थित कृषि भवन में साइन किए. इस समझौते के तहत इरी और कृषि मंत्रालय मिलकर कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स और पौष्टिक किस्में विकसित करेगा. इस अवसर पर अहूजा ने इरी और आईआरआरआई-दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय केंद्र (आईसार्क) की तारीफ करते हुए कहा कि विगत पांच साल से यह कृषि क्षेत्र से संबंधित मुद्दों के समाधान में भारत का सहयोगी रहा है. यह समझौता हमारे देश और अन्य दक्षिण एशियाई क्षेत्र में कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में सुधार के लिए मिलकर काम करने के नए तरीकों को अपनाने की प्रतिबद्धता है.
संयुक्त सचिव अश्वनी कुमार ने कहा कि हम कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए और भी अधिक सहयोग की आशा करते हैं. इरी के महानिदेशक बेली ने भारत सरकार के साथ नए सिरे से इस साझेदारी का स्वागत करते हुए कहा कि भारत चावल-आधारित कृषि एवं खाद्य क्षेत्र की दक्षता, स्थिरता और समानता में सुधार करने में हमारा मुख्य रणनीतिक सहयोगी रहा है. खाद्य असुरक्षा, कुपोषण और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना और बेहतर समाधान प्रदान करने के लिए डॉ. बेली ने बल दिया.
आईसार्क ने क्या किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने वाराणसी के राष्ट्रीय बीज अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र (NSRTC) परिसर में आईसार्क स्थापना को 2017 में मंजूरी दी थी. पांच वर्ष से केंद्र ने क्षेत्र में खाद्य उत्पादन को बनाए रखने में प्रमुख भूमिका निभाई है. यह अपनी अत्याधुनिक प्रयोगशाला सुविधाओं के माध्यम से निजी व सार्वजनिक क्षेत्रों के साथ-साथ अनाज की गुणवत्ता, फसल उत्पादन एवं पोषण गुणवत्ता के लिए के लिए रिसर्च कर रहा है.
दिसंबर 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने पौधे के विकास चक्र में तेजी लाने और सामान्य परिस्थितियों में चावल की केवल एक से दो फसलों के मुकाबले प्रति वर्ष लगभग पांच फसलों के लिए आईसार्क की नई स्पीड ब्रीडिंग सुविधा (स्पीडब्रीड) का उद्घाटन किया था. आईसार्क ने चावल मूल्य संवर्धन में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किया है, जिसमें अनाज में भारी धातुओं की मात्रा व गुणवत्ता निर्धारित करने की क्षमता वाली आधुनिक और परिष्कृत प्रयोगशाला शामिल है.
इसने कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) वाली चावल की किस्मों का विकास किया है. चूंकि अधिकांश चावल की किस्मों में ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होता है और अधिकतर भारतीय चावल का सेवन करते हैं. ऐसे में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले चावल से देश में मधुमेह की बढ़ती स्थिति को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी.
समझौते के तहत आगे क्या होगा
आईसार्क के दूसरे चरण में उत्पादकों-उपभोक्ताओं की मांग पूरा करने के लिए भारत व दक्षिण एशिया में चावल-आधारित खाद्य प्रणालियों के विकास में तेजी लाने के उद्देश्य से अपने अनुसंधान और विकास कार्यो के विस्तार करने का प्रस्ताव रखा गया है. दूसरे चरण में उच्च उपज वाले जैव-फोर्टिफाइड चावल के विकास, प्रसार व लोकप्रियीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. विशेष रूप से हाई जिंक और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चावल की किस्मों पर मुख्य फोकस होगा. यह जलवायु-परिवर्तन सहिष्णु किस्मों पर भी काम करेगा.
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