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भारतीय बाजार में निवेश बढे, चीन को हुआ आर्थिक नुकसान

Shantanu Roy
10 July 2023 5:32 PM GMT
भारतीय बाजार में निवेश बढे, चीन को हुआ आर्थिक नुकसान
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इमर्जिंग मार्केट डेट में निवेश में भारत ने चीन को पीछे छोड़ा
नई दिल्ली। दुनियाभर की दिग्गज कंपनियों की नजर इस समय भारतीय बाजार पर है। दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला यह देश खपत और डिमांड के लिहाज से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। अब भारत ने निवेश के हिसाब से सबसे अधिक आकर्षक उभरते बाजार के मामले चीन को पीछे छोड़ दिया है। भारत ईएम डेट में निवेश के लिए दुनिया का सबसे आकर्षक उभरता बाजार बन गया है। 85 सॉवरेन वेल्थ फंड्स और 57 सेंट्रल बैंक्स के सर्वे से यह जानकारी सामने आई है। ये वेल्थ फंड और बैंक्स कुल 21 लाख करोड़ डॉलर के एसेट को रिप्रेजेंट करते हैं।
'इन्वेस्को ग्लोबल सॉवरेन एसेट मैनेजमेंट स्टडी' टाइटल वाली इन्वेस्को की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया, 'भारत को इसके बेहतर व्यापार, राजनीतिक स्थिरता, अनुकूल जनसांख्यिकी, नियामकीय पहलों और सॉवरेन इन्वेस्टर्स के लिए अनुकूल वातावरण के कारण सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है।' इस रिपोर्ट में 142 चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसरों के विचार शामिल किये गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया, 'इमर्जिंग मार्केट डेट में निवेश के लिए भारत चीन को पीछे छोड़ सबसे आकर्षक इमर्जिंग मार्केट बन गया है।' मिडिल ईस्ट में बेस्ड एक डेवलपमेंट सॉवरेन ने कहा, 'हमारा चीन और भारत में अधिक एक्सपोजर नहीं है। हालांकि, भारत अब बिजनस और राजनीतिक स्थिरता के हिसाब से एक अच्छी जगह है। जनसांख्यिकी तेजी से बढ़ रही है। उनके पास दिलचस्प कंपनियां, अच्छी रेगुलेशन पहलें और सॉवरेन इन्वेस्टर्स के लिए एक बहुत अनुकूल वातावरण है।' भारत मैक्सिको और ब्राजील जैसे कुछ देशों में से एक है, जो फ्रेंड-शोरिंग और नियर-शोरिंग के जरिए घरेलू और ग्लोबल डिमांड के उद्देश्य से बढ़े हुए विदेशी कॉर्पोरेट निवेश का फायदा उठा रहे हैं। वहीं, गोल्डमैन सैश की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत साल 2075 तक अमेरिका को पीछे छोड़ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बन जाएगा।
जुलाई महीने का पहला कारोबारी हफ्ता विदेशी निवेश के लिहाज से काफी अच्छा बीता है। जुलाई के पहले कारोबारी हफ्ते के दौरान ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने जोरदार खरीदारी की है। जुलाई में 3 से 7 तारीख के दौरान भारतीय बाजारों में 21,944 करोड़ रुपये का निवेश किया है। पहले हफ्ते के रुझानों से यह उम्मीद की जा रही है कि जुलाई में विदेशी निवेश जून और मई महीने से ज्यादा रहेगा। एफपीआई भारतीय बाजार में लगातार पांचवीं मंथली खरीदारी दर्ज करने की राह पर हैं। यह विदेशी फंड प्रवाह भारतीय बाजारों में मजबूत रैली के बाद आया है। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी भी अपने हाइएस्ट लेवल पर भी पहुंच गए हैं।
NSDL के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई (FPI) ने 3 जुलाई से 7 जुलाई तक भारतीय शेयरों में 21,944 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह जोरदार खरीदारी महज एक कारोबारी हफ्ते में हुई है। यह जून 2023 में दर्ज किए गए 47,148 करोड़ रुपये के कुल निवेश का 46.54% और मई 2023 में किए गए 43,838 करोड़ रुपये के कुल निवेश का 50.05% है। मौजूदा साल में जून एफपीआई की ओर से सबसे ज्यादा खरीदारी के लिए सबसे अच्छा महीना है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) से मजबूत निवेश के पीछे का कारण बताते हुए एक्सपर्ट ने बताया कि, "एफपीआई निवेश में यह यू-टर्न जो इस साल जनवरी और फरवरी में निगेटिव 34626 करोड़ रुपये था। इसके आगे एक्सपर्ट्स ने कहा कि विदेशी निवेशक फाइनेंशियल सर्विसेज, ऑटोमोबाइल, कैपिटल गुड्स और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर्स में लगातार खरीददारी कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने एफएमसीजी और पावर में खरीदारी बढ़ा दी है। आईटी में बिकवाली का रुझान जारी है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक विदेशी निवेशकों की रणनीति किसी भी देश में भीतर क्षेत्रीय संभावनाओं के बजाय दूसरे फैक्टर्स पर ज्यादा है। इसीलिए उन्होंने जनवरी और फरवरी में 'सेल इंडिया, बाइ चाइना' की रणनीति अपनाई है।
इन दो महीनों के दौरान विदेशी निवेशकों ने फाइनेंशियल सर्विसेज में 15744 करोड़ की बिकवाली की थी। अब 'सेल इंडिया, बाइ चाइना' की रणनीति पर काम करते हुए विदेशी निवेशकों ने अकेले जून के महीने में फाइनेंशियल सर्विसेज में 19229 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं और खरीदारी का यह सिलसिला जारी है। इधर बीच सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने 3 से 7 जुलाई तक के कारोबार को बेहद ही मामूली बढ़त के साथ खत्म किया था। शुक्रवार को सेंसेक्स 505.19 अंक या 0.77% की गिरावट के साथ 65,280.45 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 165.50 अंक या 0.85% की गिरावट के साथ 19,331.80 पर बंद हुआ।
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