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विदेश यात्रा के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से भुगतान

Tara Tandi
18 May 2023 11:10 AM GMT
विदेश यात्रा के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से भुगतान
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यदि आप विदेश यात्रा के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से भुगतान करते हैं, तो आपको कर का भुगतान करना होगा। दरअसल, विदेश यात्रा के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत लाया गया है। वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट अमेंडमेंट रूल्स 2023 को नोटिफाई करते हुए कहा है कि इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड्स के जरिए विदेश में होने वाले खर्च को भी LRS में शामिल किया जा रहा है।
इसके तहत कोई भी निवासी विदेश में सालाना अधिकतम 2.50 लाख डॉलर ही खर्च कर सकता है। यदि आप इस राशि से अधिक विदेशी मुद्रा के रूप में खर्च करते हैं, तो आपको आरबीआई से मंजूरी लेनी होगी। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ऐसे खर्च स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) के दायरे में आएं। इस अधिसूचना से पहले, विदेश यात्रा के दौरान किए गए खर्चों के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड भुगतान एलआरएस के लिए पात्र नहीं थे। वित्त मंत्रालय ने आरबीआई से चर्चा के बाद यह अधिसूचना जारी की है और विदेशी मुद्रा प्रबंधन नियम, 2000 की धारा 7 को हटा दिया है। इसके चलते अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशों में किए जाने वाले भुगतान भी एलआरएस के दायरे में आ गए हैं।
एक जुलाई से टैक्स की नई दर लागू होगी
इस साल की शुरुआत में 2023-24 के लिए पेश बजट में टीसीएस की दर को 5 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया गया था। टैक्स की नई दर एक जुलाई 2023 से लागू होने जा रही है। इसके तहत एलआरएस के तहत शिक्षा और मेडिकल खर्च को छोड़कर विदेश टूर पैकेज या अन्य खर्च पर यह नियम लागू होगा।
उदारीकृत प्रेषण योजना (LRS) क्या है?
एलआरएस का फुल फॉर्म लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम है। दरअसल, अंग्रेजी भाषा में रेमिटेंस शब्द का मतलब होता है किसी देश के बाहर पैसा भेजना। करोड़ों एनआरआई विदेशों में रहते हैं और हर साल बड़ी रकम अपने परिवार और रिश्तेदारों को भेजते हैं। यह राशि देश में प्रेषण के रूप में आती है। इसी तरह हमारे देश से भी बड़ी संख्या में लोग विदेशी मुद्रा को देश से बाहर भेजते हैं। यह राशि भी प्रेषण की श्रेणी में आती है। विदेशी मुद्रा को अपने देश से बाहर ले जाने पर हर देश का कुछ न कुछ नियंत्रण होता है।
योजना कब लागू की गई थी?
एलआरएस की शुरुआत 4 फरवरी 2004 को हुई थी। उस वक्त इसके तहत सिर्फ 25 हजार डॉलर विदेश ले जाने की इजाजत थी। इसके बाद अलग-अलग समय पर देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए एलआरएस के तहत विदेशी मुद्रा के प्रेषण की सीमा को बढ़ाया या घटाया गया है। इस योजना के तहत पैसा बाहर भेजने के लिए पैन नंबर होना जरूरी है।
योजना के तहत पैसा कब नहीं भेज सकते ?
LRS के तहत विदेश में लॉटरी टिकट खरीदने और मुद्रा कारोबार करने के लिए विदेशी मुद्रा को देश से बाहर भेजने की अनुमति नहीं है। साथ ही, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा गैर-सहकारी के रूप में वर्गीकृत किए गए देशों को एलआरएस के तहत पैसा नहीं भेजा जा सकता है।
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