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25 महीने के निचले स्तर पर महंगाई; सबसे ज्यादा जीरे ने तबाही मचाई

Tara Tandi
27 Jun 2023 9:12 AM GMT
25 महीने के निचले स्तर पर महंगाई; सबसे ज्यादा जीरे ने तबाही मचाई
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देश में जश्न का माहौल है. वॉशिंगटन का खुमार आज भी लोगों के दिलो-दिमाग पर है. खुदरा महंगाई दर 25 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई है. थोक महंगाई दर माइनस 3.50 फीसदी के आसपास पहुंच गई है. फिर भी आम लोगों की रसोई मजबूत है. इस पर किसी का ध्यान नहीं है, रसोई में रखे दूध और दालों के दाम अभी तक कम नहीं हुए हैं. दूध और दाल तो छोड़िए किचन के मसाले के डिब्बे में रखा जीरा भी इन दिनों 'हीरा' बन गया है। आख़िर क्यों होती है जीरे की तुलना हीरे से? इसकी वजह जीरे का भाव है जो आज 60 हजार रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गया है.
देश की हर रसोई में 99 फीसदी सब्जियों में जीरे का इस्तेमाल होता है. ऐसे में अगर इसके दाम आसमान छूने लगेंगे तो आम लोगों का क्या होगा. गुजरात की उंझा मंडी में जीरे की कीमतों में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. आज कीमत 60 हजार रुपये के पार ही पहुंच गई थी. वैसे, कुछ दिन पहले जीरे की कीमत 67 हजार के पार भी जा चुकी है. हैरान करने वाली बात ये है कि 9 साल में जीरे की कीमत में 500 फीसदी से ज्यादा का उछाल देखने को मिला है. कृषि से जुड़ी 20 कमोडिटी में से जीरे की कीमत में सबसे ज्यादा उछाल देखने को मिला है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी भी देते हैं।
9 साल में 500 फीसदी से ज्यादा महंगा हुआ जीरा
2 जून 2014 को जीरे की कीमत 11,120 रुपये थी. जो 22 जून को 67,500 रुपये प्रति क्विंटल के साथ लाइफ टाइम हाई पर पहुंच गया. इसका मतलब है कि जीरे की कीमतें 500 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई हैं. वैसे, 26 जून को उंझा मंडी में जीरे का भाव 60,125 रुपये पर आ गया. इस लिहाज से भी करीब 9 साल में जीरे की कीमतों में 441 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. वहीं, वायदा बाजार एनसीडीईएक्स के आंकड़ों के मुताबिक, जीरे का अगस्त वायदा 58,205 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ, जो कारोबारी सत्र के दौरान 58,750 रुपये तक पहुंच गया था. इसमें पिछले दिन के मुकाबले 5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है.
बाजार अधिकारियों के मुताबिक, जीरे की कीमत में बढ़ोतरी का मुख्य कारण मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन है। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, मसालों के लिए दुनिया के सबसे बड़े थोक बाजार, उंझा एपीएमसी के एक प्रमुख कमीशन एजेंट, सीताराम पटेल ने कहा कि इस साल आवक मांग से लगभग 50 प्रतिशत कम रही है। जिसके चलते व्यापारियों को कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
क्यों बढ़ रही है जीरे की कीमत?
सरकारी अनुमान के मुताबिक, भारत का जीरा उत्पादन 2019-20 में 9.12 लाख टन से घटकर 2020-21 में 7.95 लाख टन और 2021-22 में 7.25 लाख टन हो गया है. व्यापारियों का मानना है कि 2022-23 की फसल का आकार थोड़ा छोटा होगा, जिसका मुख्य कारण इस बार मार्च के दूसरे पखवाड़े के दौरान बेमौसम बारिश है।
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