भारत की अर्थव्यवस्था 2030 तक जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ देगी, भारत अभी छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है

भारत वर्ष 2030 तक जापान को पीछे छोड़कर एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उस समय तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकार जर्मनी एवं ब्रिटेन से भी आगे हो जाने और दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है। आईएचएस मार्किट की शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह दशक काफी अच्छा रहने की संभावना जताई गई है। भारत इस समय अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी एवं ब्रिटेन के बाद दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत का बाजार मूल्य पर जीडीपी के वर्ष 2021 के 2,700 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 8,400 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है। इस तीव्र रफ्तार वाली वृद्धि से भारतीय जीडीपी का आकार 2030 तक जापान से आगे निकल जाएगा जिससे भारत चीन के बाद एशिया-प्रशांत क्षेत्र की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसके साथ ही भारत की जीडीपी उस समय तक जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन को भी आकार के मामले में पीछे छोड़ चुकी होगी। मार्किट की रिपोर्ट कहती है, 'कुल मिलाकर भारत के अगले दशक में सर्वाधिक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बने रहने की संभावना है।' इस उच्च वृद्धि दर को दीर्घकालिक परिदृश्य में कई अहम कारकों से समर्थन मिलने की उम्मीद है। तेजी से बढ़ता मध्य वर्ग का आकार भारत में उपभोक्ता व्यय को मजबूती दे रहा है जिससे वर्ष 2030 तक देश का उपभोक्ता व्यय दोगुना होकर तीन अरब डॉलर होने की संभावना है।
इस साल आर्थिक वृद्धि दर 9.2 फीसद रहने का अनुमान
कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि एक साल पहले इसमें 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। राष्ट्रीय सांख्यिकीय कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में यह कहा गया है। एनएसओ ने कहा, 'वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 2021-22 में 9.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जबकि एक साल पहले 2020-21 में इसमें 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।'' आधार मूल्य पर वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2021-22 में 135.22 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में 124.53 लाख करोड़ रुपये था।
सीतारमण ने लिया बैंकों की तैयारी का जायजा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक कर कोरोनावायरस के ओमीक्रोन स्वरूप के संभावित आर्थिक व्यवधानों से निपटने के लिए बैंकों की तैयारी का आकलन किया। वित्त मंत्रालय के मुताबिक बैंकों के चैयरमैन एवं प्रबंध निदेशकों के साथ हुई इस ऑनलाइन बैठक में सीतारमण ने कृषि, खुदरा और एमएसएमई के साथ ही कोविड के चलते व्यवधान का सामना करने वाले क्षेत्रों को समर्थन बढ़ाने को कहा। इस दौरान सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से महामारी के प्रभाव को कम करने के लिए किये गये उपायों के क्रियान्वयन को लेकर बैंकों द्वारा उठाये गये कदमों की भी समीक्षा की गई।