नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। इसी के साथ भारतीय रुपए की ताकत भी बढ़ रही है। इसका लोहा अब विदेशी अर्थशास्त्री भी मान रहे हैं। अब जाने-माने अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी के मुताबिक भारतीय रुपया आने वाले समय में नया डॉलर हो सकता है। भारतीय रुपया डॉलर की जगह लेने की ताकत रखता है। एक साक्षात्कार में नूरील रूबिनी ने यह बातें कही हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रुपया समय के साथ दुनिया में ग्लोबल रिजर्व करेंसीज में से एक बन सकता है। उनके मुताबिक यह देखा जा सकता है कि भारत दुनिया के बाकी हिस्सों के साथ जो व्यापार रकता है, उसके लिए रुपया कैसे एक वाहन मुद्रा बन सकता है।
यह भुगतान का विकल्प हो सकता है। यह स्टोर ऑफ वैल्यू भी बन सकता है। निश्चित रूप से समय के साथ रुपया दुनिया में ग्लोबल रिजर्व करेंसी की डायवर्सिटी में से एक बन सकता है। अर्थशास्त्री रूबिनी के मुताबिक आने वाले समय में जल्द ही डी-डॉलरीकरण यानी डॉलराइजेशन की प्रक्रिया होगी। अमेरिका की ग्लोबल इकोनॉमी का हिस्सा 40 से 20 फीसदी तक गिर रहा है। ऐसे में अमेरिकी डॉलर के लिए सभी अंतराष्ट्रीय वित्तीय और व्यापार लेनदेन के दो तिहाई होने का कोई मतलब नहीं है। इसका एक हिस्सा जियोपोलिटिक्स है। अर्थशास्त्री ने दावा किया कि अमेरिका राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के उद्देश्यों के लिए डॉलर को हथियार बना रहा है। इस महीने की शुरुआत में एक साक्षात्कार में नूरील रूबिनी ने कहा कि अब दुनिया की मुख्य मुद्रा के रूप में अमेरिकी डॉलर की स्थिति खतरे में है। अब आने वाले समय में भारत में विकास की रफ्तार दिखेगी।