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भारतीय चावल निर्यातक वियतनाम के खरीदारों के साथ अपने विवाद को सुलझाने की कोशिश में जुटे हैं. इसके लिए उन्होंने वियतनाम के खरीदारों के लिए 100 डॉलर प्रति टन (लगभग 7500 रुपये) से अधिक की छूट दे रहे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- भारतीय चावल निर्यातक वियतनाम के खरीदारों के साथ अपने विवाद को सुलझाने की कोशिश में जुटे हैं. इसके लिए उन्होंने वियतनाम के खरीदारों के लिए 100 डॉलर प्रति टन (लगभग 7500 रुपये) से अधिक की छूट दे रहे हैं. क्योंकि वे इस मुद्दे को आगे नहीं खींचना चाहते हैं और वो अपना अधिक नुकसान नहीं कराना चाहते हैं. एग्री कमोडिटी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (ACEA) के अध्यक्ष मदन प्रकाश ने कहा, "भारतीय निर्यातक छूट की पेशकश कर रहे हैं, क्योंकि इस बात का डर है कि यदि विवाद जारी रहा तो उनकी खेप बंदरगाहों पर रुक जाएगी. तो उन्हें भारी विलंब शुल्क के भुगतान के लिए छोड़ दिया जाएगा.
प्रकाश को वियतनाम भेजे गए 500 टन सफेद चावल के साथ समस्याओं का सामना करना पड़ा और उनकी फर्म को छूट की पेशकश करनी पड़ी. उन्होंने कहा "हमारी समस्या यह थी कि शिपिंग दस्तावेज में देरी हुई और वियतनाम में बैंक बंद होने से हमारे शिपमेंट लंबित रह गए."
अधिक छूट की मांग
द बिजनेस लाइन के अनुसार, व्यापार सूत्रों ने कहा कि छूट 120 से 180 डॉलर प्रति टन ( 8925-13,375 रुपये) तक थी. "जब एक विक्रेता 100 डॉलर की छूट प्रदान करता है, तो खरीदार के लिए 110 डॉलर की छूट की मांग करना स्वाभाविक है. चावल निर्यातक संघ (TREA) के अध्यक्ष बीवी कृष्ण राव ने कहा, "150 डॉलर (₹ 11,150) प्रति टन की छूट सामान्य है."
दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक, भारत से वियतनाम को चावल का निर्यात पिछले महीने मुश्किलों में पड़ गया. क्योंकि दक्षिण-पूर्व एशियाई देश में खरीदारों ने भारी छूट के लिए कड़ी सौदेबाजी की और खेप नहीं खरीदने की धमकी दी. वियतनाम के खरीदारों ने शरद ऋतु चावल की फसल के आने के बाद कोविड के प्रतिबंधों और घरेलू कीमतों में गिरावट की ओर इशारा करते हुए डिलीवरी नहीं ली.
वियतनाम की अनुमानित शरद ऋतु चावल की फसल, 15.2 मिलियन टन (mt) जून के अंत में आने लगी. यह पिछले वर्ष के 15.06 मिलियन टन और 15.11 मिलियन टन के प्रारंभिक अनुमानों से अधिक हो सकता है.
टूटे चावल करता है आयात
वियतनाम भारत से दूसरा सबसे बड़ा चावल आयात करने वाला देश है. यह भारत से शराब बनाने, मुर्गी और मवेशियों के लिए चारा बनाने के लिए चावल का आयात करता है. इसने पिछले वित्त वर्ष में दशकों में पहली बार भारत से चावल खरीदना शुरू किया था. यह मुख्य रूप से टूटे चावल आयात करता है. वियतनाम 100 प्रतिशत टूटा हुआ चावल खरीदना पसंद करता है, क्योंकि यह अन्य ग्रेड की तुलना में सस्ता है.
लगातार बढ़े हैं निर्यात के आंकड़े
वियतनाम ने 2019-20 के वित्तीय वर्ष में भारत से 85.72 करोड़ रुपये की कीमत के 385 टन चावल का आयात किया. मगर पिछले वित्त वर्ष में यह बढ़कर 658.43 करोड़ हो गया और 2.93 लाख टन चावल की खरीद हुई. चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में इसने 377.46 करोड़ मूल्य के 1.5 लाख टन चावल का आयात किया है.
पिछले दो वित्तीय वर्षों के दो सत्रों (जुलाई-जून) के दौरान रिकॉर्ड उत्पादन से भारतीय चावल के निर्यात में मदद मिली है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, जुलाई 2019 से जून 2020 में चावल का उत्पादन 118.87 मिलियन टन (mt) था और इस सीजन के लिए यह 122.27 मिलियन टन होने का अनुमान है.
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