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नई दिल्ली (आईएएनएस)| कंज्यूमर टेक क्षेत्र में पिछले पांच साल में 4,351 करार हुए हैं जिनसे 54 अरब डॉलर देश में आए हैं। एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंज्यूमर टेक क्षेत्र का आकार तेजी से बढ़ा है और दिसंबर 2022 तक 40 यूनिकॉर्न के साथ इस क्षेत्र का कुल वैल्युएशन 250 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है। यूनिकॉर्न ऐसी कंपनी होती है जिसका वैल्युएशन एक अरब डॉलर या उससे अधिक होता है लेकिन वह शेयर बाजार में सूचीबद्ध नहीं है।
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के कारण हर सेक्टर में डिजिटलीकरण बढ़ा है। इससे ऑनलाइन कारोबार तेजी से बढ़ा तथा ऑनलाइन खरीददारी करने वालों की संख्या 35 से 40 करोड़ तक पहुंच गई।
रिपोर्ट के अनुसार, अगले 5-10 साल में देश की अर्थव्यवस्था का आकार करीब 35 खरब डॉलर बढ़ जाएगा। यह वृद्धि अर्थव्यवस्था के मौजूदा आकार के बराबर होगी जहां पहुंचने में 75 साल का समय लगा है।
मैट्रिक्स पार्टनर्स इंडिया के प्रमुख सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा, इस वृद्धि से प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी इससे गैर-जरूरी मदों में लोग ज्यादा पैसे खर्च करेंगे जो पहले कभी नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह नव उद्मियों को तेजी से बढ़ रहे बाजार में नए अवसर प्रदान करेगा और वास्तविक जीवन की समस्याओं को दूर कर देश के आर्थिक विकास में योगदान देगा।
रिपोर्ट के अनुसार, ओमनी-चैनल (एक ही प्लेटफॉर्म पर सभी वस्तुएं उपलब्ध कराने वाले) की प्रासंगिकताबढ़ने से डिजिटल विज्ञापन के प्रभाव में रिटेल शॉपिंग पर खर्च 6 से 8 गुना तक बढ़कर 2021 में 20.7 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया।
पिछले तीन साल में ऑनलाइन उपभोक्ताओं द्वारा सोशल मीडिया और फोटो/वीडियो ऐप पर बिताया जाना वाला समय 1.8 गुना बढ़ गया है। इस कारण ई-कॉमर्स के लिए संभावित ग्राहकों को वहां से खींच कर खरीददारी तक लाना महत्वपूर्ण हो जाता है।
ग्राहक अपनी पसंद के उत्पाद खोजने के लिए अब सर्च इंजन की जगह ऑनलाइन मार्केट प्लेस पर ज्यादा समय बिता रहे हैं। अब 35-40 प्रतिशत उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, फैशन, मोबाइल, फूड, एफएमसीजी तथा सौंदर्य उत्पादों के लिए मार्केटप्लेस पर सर्च कर रहे हैं।
बोस्टन कंसल्टिंग समूह की प्रबंध निदेशक पारुल बजाज ने कहा, नए ऑनलाइन खरीददार पुराने खरीददारों से अलग हैं - उनकी उम्र ज्यादा है, उनमें महिलाएं और कम आय वाले लोगज्यादा हैं तथा वे छोटे शहरों से हैं। उद्यमी और लीडर जब नये उपभोक्ताओं के लिए बिजनेस मॉडल तैयार कर रहे हैं तो यह एक अवसर भी है और चुनौती भी।
ग्राहक ज्यादा संतुष्टि और जल्द डिलिवरी के विकल्प की तलाश कर रहे हैं। इसने क्यू-कॉमर्स (क्वि क कॉमर्स) को जन्म दिया है जिसमें ओवरऑल ग्रॉसरी बाजार के 25-30 प्रतिशत पर कब्जा कर लिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, एसिस्टेड और कंवर्सेशनल कॉमर्स, इंफ्लुएंसर कॉमर्स, लाइव/वीडियो कॉमर्स और ग्रुप बाइंग जैसे नये कारोबारी मॉडल मौजूदा और नए खरीददारों को प्रभावित कर सकते हैं।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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