व्यापार
भारत को हो रहा है बड़ा नुकसान, तेल को लेकर नेपाल और बंगलादेश उड़ा रहे हैं नियमों धज्जियां
Apurva Srivastav
7 Jun 2021 8:22 AM GMT
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देश में इन दिनों खाने वाले तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं
देश में इन दिनों खाने वाले तेलों के दाम आसमान छू रहे हैं. इन्ही में से एक सोयाबिन तेल. सोयबिन तेल की कीमतें भी तेजी से बढ़ी हैं. मगर इन दिनों सोयाबीन की चर्चा की कीमतों की वजह कम और नेपाल की वजह से अधिक हो रही है. दरअसल, नेपाल इन दिनों बड़ी मात्रा में सेयाबीन और पाम तेल भारत में निर्यात कर रहा है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि वहां ना तो सोयाबीन की खेती होती है और ना ही पाम की. नेपाल के अलावा इस खेल में पड़ोसी बांग्लादेश भी शामिल है. आखिर सोयबीन तेल का पूरा खेल है क्या आइए समझ लेते हैं.
दरअसल, एक समझौता है, जिससे की नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देश अपने यहां की कुछ चीजें भारतीय बाजार में बेच सकें. इसके लिए दक्षिण एशियाई शुल्क मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) गठन किया गया है. मगर इसी समझौते का दुरूपयोग जमकर नेपाल द्वारा किया जा रहा है.
भारत को हो रहा है बड़ा नुकसान
खबर ये है कि नेपाल और बांग्लादेश के व्यापारी सस्ते दामों पर बाहर से सोयबीन और पॉम ऑयल मंगाकर उसे शुल्क मुफ्त का फायदा उठाकर भारत भेज रहे हैं. इसकी वजह से भारत के व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है, जो इन तेलों का आयात करते हैं. साथ ही भारत सरकार को भी हर साल करोड़ों का घाटा लग रहा है. सरकार को हर साल करीब 1200 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
नेपाल और बंगलादेश उड़ा रहे हैं नियमों धज्जियां
जानकार कहते हैं कि इस मामले में नेपाल और बंगलादेश नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. भारत सरकार ने जीरों ड्यूटी पर निर्यात की छूट, वहां बनी चीजों पर दी है. मगर नेपाल और बांग्लादेश बाहर से तेल मंगाकर भारत भेज रहे हैं. ये देश पाम ऑयल मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों से मंगा रहे हैं. वहीं, सोयाबीन तेल ब्राजील और अर्जेंटीना से आ रहा है.
कितना लगता है शुल्क
अगर भारत का कोई भी व्यापारी क्रूड पाम ऑयल आयात करता तो उसे प्रत्येक लीटर पर 32 रुपये का शुल्क चुकाना पड़ता है. वहीं, क्रूड सोयाबीन तेल पर 42 रुपये का शुल्क और सेस लगता है. मगर जो, तेल नेपाल के रास्ते आ रहे हैं, उनपर जीरो रुपये ड्यूटी शुल्क है. एक आंकड़े के अनुसार, नेपाल ने जुलाई 2020 और अप्रैल 2021 के बीच भारत को 2,15,000 टन कच्चे सोयाबीन तेल और 3,000 टन कच्चे पाम तेल का निर्यात किया है.
तेल में आत्मनिर्भर नहीं है भारत
खाद्य तेल उद्योग के जानकारों का कहना है कि तेल तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने से जहां सालाना सवा सौ करोड़ रुपये के आयात खर्च की बचत हो सकती है. वहीं खली के अतिरिक्त निर्यात से 75 हजार करोड़ रुपय की विदेशी मुद्रा का फायदा हो सकता. इससे घरेलू उद्योग, रोजगार और राजस्व भी बढ़ेगा. भारत अपनी आवश्यकता का करीब 70 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है.
Apurva Srivastav
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