व्यापार

भारत को क्रूड ऑयल संकट में हो सकता हैं बहुत फ़ायदा, जानिए रिपोर्ट क्या कहती है

Admin Delhi 1
3 Jun 2022 11:31 AM GMT
भारत को क्रूड ऑयल संकट में हो सकता हैं बहुत फ़ायदा, जानिए रिपोर्ट क्या कहती है
x

वर्ल्ड बुसिनेस्स न्यूज़ स्पेशल: रूस- यूक्रेन के बीच युद्ध में ऊर्जा संकट से विश्व में बड़े स्तर खलबली है। सोमवार को यूरोपीय यूनियन ने साल के अंत तक रूस से आयातित दो तिहाई क्रूड आयल के आयात पर रोक की घोषणा कर दी। इस से कच्चे तेल की कीमतों में मंगलवार को एक बार फिर उछाल आ गया। विश्लेषकों की मानें तो इस से रूस की इकोनॉमी को गहरा धक्का लगेगा। कहा जा रहा है कि कच्चे तेल के उत्पादन में अमरीका और सऊदी अरब के बाद तीसरे नंबर पर तेल के उत्पादन में रूस, ओपेक के खाड़ी देशों- सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से प्रतिस्पर्धा में बाजी जीत जाए तो आधे पौने दामों में मिलने वाले रूसी तेल के आयात से भारत की लॉटरी खुल सकती है। मंगलवार को विएना स्थित रूसी प्रतिनिधि मिखेल उलिनोव ने वैकल्पिक व्यवस्था कर लिए जाने के लिए ट्वीट किया है।

रूस ने भू- राजनैतिक दृष्टि से वैकल्पिक व्यवस्था में अपने साझेदारों में भारत और चीन को खटखटाना शुरू कर दिया है। रूस कच्चे तेल के उत्पादन ( एक करोड़ 30 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन ) में अमरीका और सऊदी अरब के बाद तीसरा बड़ा देश है। रूस अभी तक अपनी एक तिहाई खपत के बाद शेष कच्चा तेल यूरोपीय देशों को समुद्री जहाजों और पाइपलाइन से निर्यात करता आ रहा है। फरवरी के अंत में यूक्रेन युद्ध के पश्चात पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों के कारण रूस ने मित्र देशों चीन और भारत को बचे हुए तेल की आपूर्ति करनी शुरू की। इसके लिए चीन और भारत, दोनों ने सस्ती दरों पर रूसी 'यूरल' क्रूड आयल का आयात किया। अब रूस के सम्मुख अपने दो तिहाई कच्चा तेल निकालना बड़ी चुनौती होगा। विश्लेषकों का मत है कि रूस ओपेक देशों खासकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से प्रतिस्पर्धा में कम दरों पर कच्चा तेल बेचने में विफल रहा तो उसे अपने ढेरों तेल के कुएं बंद करने पड़ सकते हैं। इसके साथ रूस के सम्मुख दूसरी चुनौती कच्चे तेल पर पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण डॉलर की बजाए रूसी 'रूबल' अथवा खरीदार की मुद्रा में भुगतान के लिए तत्पर रहना होगा। रूस में कच्चे तेल का कारोबार रोसनेफट, लूकोईल, सरगुटेनेफ- लगास और गजप्रोम आदि कंपनियों के अधीन हैं।

तेल के कुएं आर्कटिक क्षेत्र में होने के कारण एक बार बंद हो जाते हैं, तो उन्हें फिर से चालू करने में अड़चन आ सकती हैं। यूरोपीय यूनियन के 27 देशों के बाद रूसी कच्चे तेल के लिए भारत और चीन, दो बड़े उपभोक्ता हैं, जो पूरी खेप उठाने की क्षमता रखते है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी रिफिनितिव डी ऐकोटा डेल की माने तो रूस-यूक्रेन युद्ध (24 फऱवरी) के बाद भारत ने रूस से मार्च में तीस लाख बैरल, अप्रैल में 72 लाख बैरल और मई में अप्रैल महीने से तीन गुना कच्चा तेल आयात किया है। इसका भुगतान डालर में नहीं, रुपए अथवा रूबल में किए जाने की चर्चा है। भारत ने 26 मई तक करीब साढ़े छह अरब अमरीकी डालर माल का आयात किया है, जबकि पिछले वर्ष इस अवधि में मात्र दो अरब डालर का आयात किया जा सका था। अमरीका के बाद चीन की कुल खपत दो करोड़ टन प्रतिदिन से अधिक है, जबकि भारत की खपत चीन के बराबर पुहंच हुँच रही है। हालांकि कच्चे तेल के उत्पादन में चीन विश्व के पहले पांच देशों में आता है। चीन के उत्तर पूर्व में सोंगलीयो में तेल के कूप हैं। इस से चीन अपनी एक चौथाई (प्रतिदिन 48 लाख बैरल) की भरपाई कर लेता है। इसके विपरीत भारत को अपनी 84 प्रतिशत जरूरतों के लिए विदेशी कच्चे तेल पर निर्भर रहना पड़ता है।

Next Story