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भारत बना दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अब वित्त मंत्री ने कही ये बात

jantaserishta.com
4 Sep 2022 7:37 AM GMT
भारत बना दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अब वित्त मंत्री ने कही ये बात
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: कभी जिस देश ने सालों तक भारत (India) पर राज किया, आज उस ब्रिटेन (Britain) को मात देते हुए देश दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी (5th Biggest Economy) बन चुका है. अर्थव्यवस्था में इस तेजी के जारी रहने का केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को पूरा भरोसा है. यही कारण है कि दुनिया पर मंदी (Recession) के खतरे के बीच उन्होंने कहा, 'देश में मंदी आने का जीरो चांस है'.
पीटीआई के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि के दहाई अंकों में बने रहने की उम्मीद जताई है. उन्होंने कहा कि भारत दूसरे देशों की तुलना में मजबूत स्थिति में है. इस दौरान दुनिया में मंदी (Recession) के खतरे की चर्चा को लेकर उन्होंने कहा कि देश में मंदी का कोई खतरा नहीं है. सीतरमण ने कहा, 'भारत के मंदी में गिरने का चांस जीरो परसेंट है.'
वित्त मंत्री (Finance Minister) ने आगे कहा कि मुझे पूरी उम्मीद है कि देश की GDP Growth Rate चालू वित्त वर्ष में दोहरे अंकों में रहेगी और हम इसके लिए काम करेंगे. सीतारमण ने कहा कि अगर आप मंदी की कगार पर नहीं खड़े हैं तो इससे कॉन्फिडेंस मिलता है कि जरूरतमंदों की मदद और इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिहाज से आप बेहतर कदम उठा रहे हैं. हाल ही में जारी आंकड़ों को देखें तो वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश की जीडीपी 13.5 फीसदी की दर से बढ़ी है.
निर्मला सीतारमण ने बातचीत के दौरान कहा कि हम वास्तव में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था हैं और जिन अर्थव्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं, उनकी तुलना में मजबूत स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि आईएमएफ (IMF) की रिपोर्टें भी इस बात की गवाही दे रही हैं कि भारत से कहीं अधिक विकसित मानी जाने वाली अर्थव्यवस्थाएं फिलहाल मंदी की कगार पर हैं. जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तमाम चुनौतियों के बाद भी तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है.
इसके अलावा सरकारों की तरफ से मुफ्त उपहार (Freebies) बांटे जाने से जुड़े एक सवाल के उत्तर में वित्त मंत्री ने कहा कि हमें इस चर्चा में हिस्सा जरूर लेना चाहिए, क्योंकि अगर आप कुछ मुफ्त में दे रहे हैं, तो इसका मतलब है कि उसका बोझ कोई और उठा रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि कुछ भी मुफ्त में देने से पहले सत्ता में आई किसी भी सरकार को कर राजस्व समेत अन्य वित्तीय स्थितियों का आकलन करना चाहिए.
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