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देश के प्रधानमंत्री अपनी 6 दिवसीय विदेश यात्रा से वापस लौट आए हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति को पूरी दुनिया ने बहुत करीब से देखा और परखा। वहीं, चीन न सिर्फ भारत की विदेश नीति पर नजर रख रहा था, बल्कि वैश्विक बाजार के उस अंडरकरंट को भी पकड़ने की कोशिश कर रहा था, जो भारत के पक्ष में दुनिया के तमाम बाजारों की रगों में दौड़ने लगा है।
पीएम मोदी की विदेश यात्रा या यूं कहें कि अमेरिकी दौरे के बाद कई सवाल सामने आ गए हैं. क्या भारत वैश्विक बाज़ार में सबसे बड़ा 'व्यापारी' बनने की तैयारी में है? क्या भारत ने बिजनेस, ट्रेडिंग, मैन्युफैक्चरिंग के बोर्ड पर अपना सबसे बड़ा दांव लगा दिया है, जिससे आने वाले समय में चीन के साथ टकराव और तेज हो जाएगा? सबसे अहम सवाल यह है कि क्या भारत दुनिया की उस आपूर्ति को पूरा कर पाएगा, जिसमें चीन कभी बाजीगर की भूमिका निभा रहा था और कोविड के आने और उसके खत्म होने के बाद वह बाजीगर भी दुनिया के सामने खत्म हो गया? तो आइए Apple से शुरुआत करें, जो कभी चीन का दूसरा घर हुआ करता था, और फिर EVs और सेमीकंडक्टर की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
चीन और अमेरिका के बीच सीधे टकराव के बाद अमेरिका ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल को सबसे पहले समझ आया कि अब उसे चीन से आगे बढ़कर सोचना होगा और विकल्प ढूंढना होगा। ऐसे में टिम कुक की नजर भारत पर पड़ी और वह यहां की पीएलआई स्कीम के दीवाने हो गए. उन्होंने अपने सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर फॉक्सकॉन को यहां भेजा और प्लांट लगाया। उसके बाद एप्पल और दुनिया ने जो देखा वो इतिहास बन गया.
भारत दुनिया का सबसे बड़ा एप्पल हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। टिम कुक अपनी टीम के सामने भारतीय बाजार के कसीदे पढ़ रहे हैं और निर्देश दे रहे हैं कि भारत अब उनकी पहली प्राथमिकता बन गया है. भारत के स्थानीय निकायों का भी अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2024 में भारत 1.20 लाख करोड़ रुपये के स्मार्टफोन निर्यात करेगा, जिसमें Apple की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक होगी, इसलिए इसका संदेश स्पष्ट है, भले ही Apple चीन का दामन नहीं छोड़ेगा , लेकिन भारत अब उसका दूसरा घर होगा, जो चीन के लिए एक बड़ा झटका है।
कोरोना काल से पहले दुनिया सेमीकंडक्टर के लिए चीन पर निर्भर थी। सभी अमेरिकी कंपनियों को चीन से सप्लाई मिल रही थी. उसके बाद कोविड आया और सप्लाई ऐसी जाम हुई कि दुनिया को अभी भी पसीना आ रहा है. ऐसे में अमेरिका ने साफ संदेश दिया कि अब सेमी-कंडक्टर पर चीन का एकाधिकार या यूं कहें कि निर्भरता कम करनी होगी. यहां भी अमेरिका और अमेरिकी कंपनियों को भारत ही नजर आया. यह सेमीकंडक्टर इस अमेरिकी भारत यात्रा की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
अमेरिका पहुंचे पीएम मोदी और माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने भारत में 2.79 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान किया. गुजरात के साणंद में प्लांट लगाने का ऐलान. अब अमेरिका से निकलकर ताइवान की ओर चलते हैं जहां सबसे बड़ी विनिर्माण कंपनियों में से एक और दुनिया की सबसे बड़ी आईफोन निर्माता कंपनी फॉक्सकॉन ने सेमीकंडक्टर के लिए वेदांता से हाथ मिलाया है।
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