
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। तमाम कोशिशों के बावजूद भारत तिलहनी और दलहनी फसलों (Pulses Crop) के मामले में अब तक आत्मनिर्भर नहीं हो सका है. साल 2019-20 में हमने 68558.2 करोड़ रुपये का वनस्पति तेल इंपोर्ट किया. जबकि 10221.4 करोड़ रुपये की दालें इंपोर्ट की गईं. इसीलिए सरकार इन दोनों फसलों में देश को आत्मनिर्भर बनाकर इस पैसे को दूसरे देश जाने से बचाने की कोशिश में जुटी हुई है. इसके लिए मिशन मोड पर काम हो रहा है. जिसके परिणाम इस बार रबी सीजन में दिखाई देने लगे हैं. रबी सीजन 2021-22 में इन दोनों फसलों का रकबा काफी बढ़ गया है. तिलहनी फसलों (Oilseed Crops) की बुवाई इस साल 23.78 लाख हेक्टेयर में बढ़ी है, जबकि दलहनी फसलों के एरिया में 18.21 लाख हेक्टेयर की वृद्धि दिख रही है. कृषि मामले के जानकारों का कहना है कि यह एक शुभ संकेत है. इससे खाद्य तेलों (Edible oils) और दालों के इंपोर्ट में कमी आने का अनुमान है.
