व्यापार
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, अब सेवा में दिक्कत होने पर मोबाइल फोन यूजर्स कर सकते हैं कंज्यूमर फोरम में शिकायत
Deepa Sahu
27 Feb 2022 2:03 PM GMT
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किसी कंपनी के खिलाफ टेलीकॉम (Telecom) सेवाओं (Services) में खामी को लेकर ग्राहक सीधे कंज्यूमर फोरम (Consumer Forum) में अपनी शिकायत लेकर जा सकते हैं.
किसी कंपनी के खिलाफ टेलीकॉम (Telecom) सेवाओं (Services) में खामी को लेकर ग्राहक सीधे कंज्यूमर फोरम (Consumer Forum) में अपनी शिकायत लेकर जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह व्यवस्था दी है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा कि भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत मध्यस्थता उपाय की प्रकृति सांविधिक है, अत: ऐसे मामले उपभोक्ता मंच के अधिकार क्षेत्र के दायरे से बाहर नहीं होंगे. पीठ ने कहा कि उपभोक्ता मध्यस्थता उपाय का रास्ता अपनाना चाहता है, तो इसकी अनुमति है लेकिन कानून के तहत ऐसा करना अनिवार्य नहीं है. उसने आगे कहा कि वह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 के तहत दिए गए उपायों का इस्तेमाल कर सकता है, जिसका स्थान 2019 के अधिनियम ने ले लिया है.
शीर्ष न्यायालय ने यह फैसला दूरसंचार कंपनी वोडाफोन की अपील पर सुनाया, जिसमें कंपनी ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग के आदेश को चुनौती दी है.
किस मामले की सुनवाई में हुआ फैसला?
अजय कुमार अग्रवाल नाम के व्यक्ति ने 25 मई, 2014 को जिला उपभोक्ता विवाद निपटान मंच, अहमदाबाद के सामने शिकायत दाखिल कर वोडाफोन की सेवाओं में कमी का आरोप लगाया था. शिकायत के अनुसार अग्रवाल के पास पोस्ट-पेड मोबाइल कनेक्शन था, जिसका मासिक कराया 249 रुपये था. वोडाफोन अग्रवाल को मोबाइल सेवाएं दे रही थी.
अग्रवाल ने एक क्रेडिट कार्ड के जरिये कंपनी के बिल के भुगतान के लिए 'ऑटो पे' प्रणाली ली थी. वोडाफोन को इसका भुगतान अंतिम तारीख से पहले हो जाता था. अग्रवाल का आरोप है कि 8 नवंबर 2013 से 7 दिसंबर 2013 तक उनका औसत मासिक बिल 555 रुपये था. लेकिन उनसे 24,609.51 रुपये का बिल वसूला गया था. अग्रवाल ने इस मामले को लेकर जिला उपभोक्ता मंच में अपील की थी और 22,000 रुपये का मुआवजा ब्याज सहित देने की अपील की थी.
इसके अलावा अगर आप घर की छत या अपनी जमनी पर मोबाइल टावर लगवाने की सोच रहे हैं तो सचेत हो जाएं. सोशल मीडिया पर इन दिनों एक खबर तेजी से वायरल हो रही है. वायरल खबर में दावा किया जा रहा है कि दूरसंचार विभाग मोबाइल टावर लगाने के लिए नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे रहा है. अगर आप भी इस दावे के झांसे में आकर मोबाइल टावर लगवाने के लिए भुगतान कर रहे हैं तो सावधान हो जाएं. यह दावा पूरी तरह से फर्जी है. पीआईबी फैक्ट चेक के मुताबिक, DoT ऐसे प्रमाण पत्र जारी नहीं करता है.
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