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कंपनियों ने रवि के खिलाफ केस दर्ज कराया हुआ है.
इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) के फाउंडर, पूर्व चेयरमैन और पूर्व सीईओ रवि पार्थसारथी (Ravi Parthasarathy) को गिरफ्तार किया है. चेन्नई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के रवि गिरफ्तार कर लिया है. इस मास्टर माइंड की वजह से देश में 2018 में फाइनेंशियल सर्विस की मार्केट में लिक्विडटी का संकट पैदा हो गया था. साल 2018 में यह घोटाला सामने आया था जो 1 लाख करोड़ रुपए का था. इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर लिजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज का नाम सामने आया था.
रवि की गिरफ्तारी पर आर्थिक अपराध शाखा ने कहा कि कंपनी के पूर्व चेयरमैन रवि पार्थसारथी के नेतृत्व में IL&FS फ्रॉड करने का अड्डा बन गया था. पार्थसारथी ने 1987 में IL&FS की स्थापना की थी और 2017 में उन्होंने कंपनी छोड़ दी थी. EOW के DSP प्रकाश बाबू ने न्यूज पुष्टि की है कि पार्थसारथी को गिरफ्तार किया गया है और उन्हें 15 दिन तक पुलिस कस्टडी में रखा जाएगा.
IL&FS ग्रुप में 350 से ज्यादा कंपनियां
रवि पार्थसारथी ने IL&FS के जरिए इस पूरे फाइनेंशियल घोटाले को अंजाम दिया था. इस ग्रुप में एक दो नहीं बल्कि पूरी 350 कंपनियों को शामिल किया गया था. इन सभी कंपनियों को रवि ने जालसाजी करने के लिए मुखौटे के रुप में इस्तेमाल किया था. रवि ने अपनी गिरफ्तारी को रोकने के लिए मद्रास हाईकोर्ट में एंटीसिपेटरी बेल दाखिल किया था जिसे खारिज कर दिया गया. अब माना जा रहा है कि रवि की गिरफ्तारी के बाद इस घोटाले की परतें और भी खुलेंगी.
ये भी हो चुके हैं गिरफ्तार
इससे पहले इसी घोटाले से जुड़े IL&FS ट्रान्सपोर्टेशन नेटवर्क्स इंडिया लिमिटेड के पूर्व एमडी रामचंद करुणाकरन और पूर्व वाइस चेयरमैन व निदेशक हरिशंकरन को ईओडब्लयू जनवरी 2021 में गिरफ्तार कर चुकी है. अब रवि की गिरफ्तारी के बाद इसके इसके तार कहां कहां और जुड़ें हैं ये जानकारी मिल सकेगी.
इस कंपनी की शिकायत पर हुई गिरफ्तारी
IL&FS के पूरे चेयरमैन रवि
पार्थसार्थी की गिरफ्तारी 63 मून टेक्नॉलिजी की शिकायत पर हुई है. 63 मून टेक्नॉलिजी के भी इस घोटाले में 200 करोड़ रुपए डूब चुके है. जिसके बाद कंपनी की शिकायत पर रवि की गिरफ्तारी हुई है. इस घोटाले में 63 मून टेक्नॉलिजी के अलावा भी कई कंपनियां हैं जिनकी भारी भरकम रकम डूब चुकी है. कई और भी कंपनियों ने रवि के खिलाफ केस दर्ज कराया हुआ है.
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