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आप चाहे जितना महंगा फोन या लैपटॉप ले लें, साल दो साल बाद फोन की बैटरी लाइफ कम हो जाती है.
आप चाहे जितना महंगा फोन या लैपटॉप ले लें, साल दो साल बाद फोन की बैटरी (Smartphone Battery) लाइफ कम हो जाती है. शुरुआत में जहां आपके नए डिवाइस की बैटरी दिन भर चल रही होती है, कुछ सालों बाद उसी फोन/लैपटॉप को दिन में चार बार चार्ज करना पड़ता है. पहले क्या होता था कि जैसे ही फोन की बैटरी पावर कम होने लगती थी, लोग बैटरी रिप्लेस कर देते थे लेकिन अब इस्तेमाल हो रहे फोन में तो बैटरी भी इन-बिल्ट होती है, इसलिए बैटरी को बदला भी नहीं जा सकता. हालांकि लैपटॉप यूजर्स के पास बैटरी चेंज करवाने का ऑप्शन है लेकिन फिर भी कुछ तरीके हैं जिनसे आप डिवाइस की बैटरी लाइफ बढ़ा सकते हैं…
थोड़ा ध्यान दिया जाए तो बैटरी को लंबे समय तक चलाया जा सकता है. जैसे कि एक फिक्स टाइम के लिए ही डिवाइस चार्ज किया जाए, कई बार पार्शियल चार्जिंग की बजाय एक ही बार में डिवाइस को फुल चार्ज किया जाए और अल्ट्रा-फास्ट चार्जर से डिवाइस को दूर रखा जाए. इसके अलावा बैटरी पूरी तरह से खत्म हो इसके बाद डिवाइस को चार्ज करने से बेहतर होगा कि आप बैटरी पावर 15 फीसदी तक होने के बाद डिवाइस चार्ज कर लें. इसके अलावा पूरे टाइम लैपटॉप और फोन को चार्ज पर लगाकर रखना ठीक नहीं है.
ज्यादा ब्राइटनेस की जरूरत नहीं
ज्यादातर समय आपको सिस्टम पर फुल ब्राइटनेस की जरूरत नहीं होती है. ब्राइटनेस कम रखना आंखों के लिए ठीक रहता हैं. लैपटॉप में दो कीज होती हैं जिनसे आप ब्राइटनेस आसानी घटा और बढ़ा सकते हैं. अगर कीज नहीं हैं तो आप सेटिंग> सिस्टम> डिस्प्ले में जा कर ब्राइटनेस चेंज कर सकते हैं.
इस तरीके से लंबे समय तक चलेगी बैटरी
भले ही माइक्रोसॉफ्ट के Internet Explorer को लेकर कई मीम बनाए गई हैं. फिर भी Microsoft का दावा है कि एज ब्राउजर Google क्रोम, फायरफॉक्स या ओपेरा जैसे दूसरे ब्राउजरों की तुलना में बैटरी बचाता है.
वाई-फाई और ब्लूटूथ इस्तेमाल ना कर रहे हों तो ये फंक्शन ऑफ कर दें.
बेमतलब की एक्सटरनल (जब यूज न हो) तो अनप्लग कर दें.
डिवाइस में बैटरी सेवर मोड का इस्तेमाल करें.
अगर आपके पास गेमिंग लैपटॉप है और इसे किसी लाइट सोर्स के साथ यूज कर रहे हैं तो आप कीबोर्ड की लाइट बंद कर सकते हैं.
कुछ समय बाद क्यों जवाब दे जाती है बैटरी?
बैटरी को यूं डिजाइन किया जाता है कि एक नियिमित चार्ज सायकल को 80 फीसदी तक रिटेन किया जा सके. चार्ज सायकल यानी बैटरी को फुल चार्ज करके सौ फीसदी यूज कर लेना. ऐसे ही बैटरी को 50 प्रतिशत चार्ज कर पूरा इस्तेमाल करने को हाफ सायकल गिना जाएगा.
दरअसल मोबाइल फोन या लैपटॉप में इस्तेमाल हो रही बैटरी में लिथियम-इयॉन मौजूद होता है. जैसे-जैसे बैटरी यूज होती है , लिथियम- इयॉन में कमी आती है और बैटरी बैक-अप कम होने लगता है. यही वजह है कि एक-दो साल बाद फोन को दिन भर में चार बार चार्ज करने की नौबत आ जाती है.
कायदे से समझें तो ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे किसी बैटरी को लाइफ टाइम तक यूज किया जा सके. एक वक़्त के बाद आपके फोन की बैटरी हार मान ही लेगी.
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