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अगर पेट्रोल- डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो कीमते हो सकती है कम

Admin4
4 March 2021 6:04 PM GMT
अगर पेट्रोल- डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो कीमते हो सकती है कम
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पेट्रोल को यदि माल एवं सेवाकर यानी जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इसकी कीमत इस समय भी कम होकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | Petrol Diesel under GST: पेट्रोल को यदि माल एवं सेवाकर यानी जीएसटी के दायरे में लाया जाता है तो इसकी कीमत इस समय भी कम होकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकती है। एसबीआई इकनॉमिस्ट ने गुरुवार को एक विश्लेषणात्मक रिपोर्ट में यह बात कही है। केंद्र और राज्य स्तर के टैक्स और उपकर के भार से भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम दुनिया में सबसे उच्चस्तर पर बने हुए हैं। जीएसटी में लाने पर डीजल का दाम भी कम होकर 68 रुपये लीटर पर आ सकता है।

ऐसा होने से केन्द्र और राज्य सरकारों को केवल एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जो कि जीडीपी का 0.4 प्रतिशत है। यह गण्ना एसबीआई इकोनोमिस्ट ने की है जिसमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम को 60 डॉलर प्रति बैरल और डॉलर- रुपये की विनिमय दर को 73 रुपये प्रति डॉलर पर माना गया है।
राज्य में लगता है वैट, केंद्र वसूलता है उत्पाद शुल्क और उपकर
वर्तमान में प्रतयेक राज्य पेट्रोल, डीजल पर अपनी जरूरत के हिसाब से मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाता है जबकि केन्द्र इस पर उत्पाद शुल्क और अन्य उपकर वसूलता है। इसके चलते देश के कुछ हिस्सों में पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर तक पहुंच गये हैं। ऐसे में पेट्रोलियम पदार्थों पर ऊंची दर से कर को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है जिसकी वजह से ईंधन महंगा हो रहा है।
केंद्र और राज्य सरकारें नहीं चाहतीं इसे जीएसटी के तहत लाना!
एसबीआई इकोनोमिस्ट ने कहा कि जीएसटी प्रणाली को लागू करते समय पेट्रोल, डीजल को भी इसके दायरे में लाने की बात कही गई थी लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। पेट्रोल, डीजल के दाम इस नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाने से इनके दाम में राहत मिल सकती है।
उनका कहना है कि, ''केन्द्र और राज्य सरकारें कच्चे तेल के उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की इच्छुक नहीं है क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर, वैट आदि लगाना उनके लिये कर राजस्व जुटाने का प्रमुख स्रोत है। इस प्रकार इस मामले में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है जिससे कि कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है।''
इकनॉमिस्ट ने कैसे लगाया है ये अनुमान?
कच्चे तेल के दाम और डॉलर की विनिमय दर के अलावा इकनॉमिस्ट ने डीजल के लिये परिवहन भाड़ा 7.25 रुपये और पेट्रोल के लिये 3.82 रुपये प्रति लीटर रखा है, इसके अलावा डीलर का कमीशन डीजल के मामले में 2.53 रुपये और पेट्रोल के मामले में 3.67 रुपये लीटर मानते हुये पेट्रोल पर 30 रुपये और डीजल पर 20 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से उपकर और 28 प्रतिशत जीएसटी की दर से जिसे केन्द्र और राज्यों के बीच बराबर बांटा जायेगा, इसी आधार पर इकोनोमिस्ट ने अंतिम मूल्य का अनुमान लगाया है।
इसमें कहा गया है कि सालाना डीजल के मामले में 15 प्रतिशत और पेट्रोल के मामले में 10 प्रतिशत की खपत वृद्धि के साथ यह माना गया है कि जीएसटी के दायरे में इन्हें लाने से एक लाख करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है।


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