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अगर कोई व्यक्ति 1 या 10 रुपये के सिक्के को लेने से कर दे मना, तो हो सकती है करवाई

Gulabi
31 March 2021 9:35 AM GMT
अगर कोई व्यक्ति 1 या 10 रुपये के सिक्के को लेने से कर दे मना, तो हो सकती है करवाई
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1 या 10 रुपये के सिक्के को लेने से कर दे मना

अक्सर आपने देखा होगा कि कई दुकानदार 10 रुपये का सिक्का या एक रुपये का छोटा वाला एक रुपये का सिक्का लेने से मना कर देते हैं. कई लोगों को कहना है कि एक खास तरीके के 10 रुपये के सिक्के नकली हैं या फिर एक रुपये के सिक्के के लिए कहते हैं कि वो अब चलन में नहीं है. ऐसे में कई बार आपको मुश्किल भी होती होगी. लेकिन, क्या आप जानते हैं ऐसा करना कानूनी अपराध है और अगर आप उन लोगों की शिकायत करते हैं तो उन्हें सजा भी हो सकती है.


ऐसे में जानते हैं कि अगर आपके साथ ऐसा होता है तो किस तरह से शिकायत कर सकते हैं. साथ ही जानते हैं कि सिक्कों को लेकर क्या नियम है और अगर कोई सिक्का लेने से मना करता है तो उसे कितनी सजा हो सकती है. आइए जानते हैं सिक्कों से जुड़े नियम….

क्या हो सकती है कार्रवाई?
अगर कोई व्यक्ति किसी भी सिक्के (यदि सिक्का चलन में है) को लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जा सकती है. उसके खिलाफ भारतीय मुद्रा अधिनियम व आइपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई होगी. मामले की शिकायत रिजर्व बैंक में भी की जा सकती है. इसके बाद दुकानदार या जो भी सिक्के लेने से मना कर रहा है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.

क्या है सजा का प्रावधान?
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 489ए से 489इ के तहत नोट या सिक्के का जाली मुद्रण, जाली नोट या सिक्के चलाना और सही सिक्कों को लेने से मना करना अपराध है. इन धाराओं के तहत किसी विधिक न्यायालय द्वारा आर्थिक जुर्माना, कारावास या दोनों का प्रावधान है. ऐसे में अगर आपसे कोई सिक्का लेने से मना करे तो उसकी आवश्यक सबूत के साथ कार्रवाई कर सकते हैं.

आरबीआई ने भी दी थी जानकारी?
वैसे आरबीआई ने भी सिक्कों को लेकर जानकारी शेयर की थी और बताया था कि कोई भी सिक्के नकली नहीं हैं. साथ ही आरबीआई ने 10 रुपये के सिक्के को लेकर जो अफवाहें फैलाई जा रही थीं, उन्हें गलत बताया था. ऐसे में आप 10 रुपये के किसी भी सिक्के को लेन-देन के काम में ले सकते हैं. बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक 2 रुपये से लेकर 10,000 रुपये तक के नोटों को प्रिंट करने के लिए अधिकृत है. एक रुपये का नोट आरबीआई के बजाय वित्त मंत्रालय की ओर से छापा जाता है और उस पर वित्त सचिव के हस्ताक्षर होते हैं.


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